Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 815
________________ ७६४ नव पदार्थ भक्तप्रत्याख्यान अनशन-६३१ भक्तपरिज्ञा अनशन-६३१ भक्तपान अवमोदरिका तप-६३५-३८ भक्ति-२१४-१५, २१८ भगवती सूत्र में पुण्य-पाप की करनी-२३१ भय-३२८ भय-मोहनीय कर्म-३१७ भय संज्ञा-४७४ भाव-३८, ४०२-३, ४१३, ४१८, ४१६, ४८४, ५८७, ५८८ भाव अवमोदरिका तप-६३६ भाव-क्षपण-४८५-८६ भाव-जीव-२७, ३६-३७, ३६, ४४, ४५ भाव-जीव-आस्रव-४५ भाव-जीव-निरवद्य कार्य-४५ भाव-जीव-निर्जरा-४५ भाव-जीव-मोक्ष-४५ भाव-जीव-वीर-४६ भाव-जीव-संवर-४५ भाव-जीव-सावद्य-निरवद्य कार्य-४५ भाव बन्ध-७०७ भाव मन-४२० भाव योग-२७७, ४१६, ४६०-६२ भाव लाभ-४८४ भाव लेश्या-४१०, ४६८, ४६६ भाव लेश्या आस्रव है-४०६ भाव-व्युत्सर्ग तप-६७२ भाव संयोग-४८३ भावाभिग्रहचर्या तप-६४१ भाषा-११०, ११२, ७२६ भाषा समिति-५१५ भाषा शब्द-१११ भिक्षाचर्या तप-६४०-४५ भिक्षु-३६० भिन्न शब्द-११० भिन्नपिण्डपातचर्या तप-६४४ भूत-३०-३१ भूषण शब्द-१११ भोक्ता-४०२, ४१३ भोग-अन्तराय कर्म-३२४ भोग और कर्म बन्ध-१७७-७६ मंडिक गणधर-४१३ मंडितपुत्र-३६३, ४१७-१८ मति अज्ञान-५७७ मति ज्ञान-५७५-७६ मनः पर्यवज्ञान-५७५-७७ मनःपर्यवज्ञानावणीय कर्म-३०४ मन-४१६-२० मन असंयम-४७३ मन आस्रव-३८१ मन पुण्य-२०० मन-बल प्राण-३० मन योग-४५४-५६ मनयोग प्रतिसंलीनता-तप-४१६, ६५३ मन वर्गणा-२८२ मनविनय तप-६६१-६२ मन संवर-५२६ मनआम शब्द-११२

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