Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 809
________________ ७८८ नव पदार्थ 970 नव पदार्थों में जीवाजीव-४५, ७६४, ७६८ नाग्न्य परीषह-५२१ नामकर्म (अशुभ)-३३१-४० नामकर्म-३६, १०७, १५५, ७१६, ७१७ नामकर्म (शुभ)-१६२-६ नामकर्म की उत्तर प्रकृतियाँ और उपभेद १६२-६, ३३२-३५ नाम कर्म की पाप प्रकृतियों का विवेचन ३३६-४० नामकर्म की शुभ-प्रकृतियों का विवेचन १६२-६ नायक-३५-६६ नाराचसंहनन नामकर्म-३३६ निःश्रेयस-६८६ निकाचित कर्म-६७५-७६ निक्षिप्त चर्या-६४१ निक्षिप्तउक्षिप्त चर्या-६४१ निर्ग्रन्थ-३६०, ४१८, ४५१, ५३७-८ निद्रा-३०७, ३१० निद्रानिद्रा-३०७, ३१० निद्रापंचक-३०८ निरवद्य आस्रव-४६३-६४ निरवद्य और सावध कार्य-४५ ।। निरवद्ययोग–१५८-६, २५३, ४१६, ५४५ निरवद्य-सावध कार्य का आधार-२३६-४६ निरवद्य सुपात्रदान से मनुष्यायुष्य-२१६-२० निराकार उपयोग-५७६-८०, ५८१ निरास्रवी-३८६ निरुपक्रम कर्म-६७५-७६ निर्जरा-४५, १७७, २०१, २१२, २१३, २३६, २४७, ३६८ निर्जरा पदार्थ-५४६-६६२ निर्जरा-- अकाम-६०६, ६११, ६१४, ६१५-६१७, ६२०, ६२१ अनुपम-६११ अप्रयत्नमूला-६१० अबुद्धिपूर्वक-६०६ अविपाकजा-६१०, ६१३ इच्छाकृत-६११ उपक्रमकृत-६१० कर्मभागजन्य-६०६ कालकृत-६१० कुशलमूल-६०६-६१३ तपकृत-६०६ निरनुबन्धक-६१३ प्रयत्नमूला-६११ प्रयोगजा-६०८, ६११ यथाकालजा-६१०, ६१२ विपाकजा-६१० सकाम-६०६, ६११, ६१२, ६१४, ६१८, ६२० सविपाक-६१२ सहज-६१०, ६११ स्वकाल-प्राप्त-६०६ स्वयंभूत-६१० शुभानुबन्धक-६१३

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