Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 807
________________ नव पदार्थ ७५६ तप के लक्ष्य पर जयाचार्य-६१७-१० तप (सकाम) कर्म-क्षय की प्रक्रिया-६७३-७७ तप (सकाम) किसके होता है-६७६-८० तप संवर का हेतु है या निर्जरा का ६८०-६८८ तपस्वी-वत्सलता-२१५ तपार्ह प्रायश्चित्त तप-६५८ तामली तापस-६७६, ६६० तामल्य-६७६ ताल शब्द-१११ . तिर्यञ्चगति नामकर्म-३३६ तिर्यञ्चानुपूर्वी नामकर्म-३३८ तिर्यञ्चायुष्यकर्म-३३० तिर्यञ्चायुष्य के बंध-हेतु-२२५ तीर्थ सिद्ध-७५०, ७५४ तीर्थङ्कर सिद्ध-७५०, ७५४ तीर्थङ्कर गोत्रकर्म-६६१ तीर्थङ्कर नामकर्म के बंध-हेतु-२१३-१६ तृणस्पर्श परीषह-५२२ तेजस्काय असंयम-४७२ तैजस् वर्गणा-२८२, ७२६ तैजस् शरीर-१०८ त्याग-२१७, ५१६, ६७८ त्याग से निर्जरा-१७७-७६ त्याज्य पदार्थ-७६७-६८ त्रिक-४७६-८१ त्रीन्द्रिय असंयम-४७३ त्रीन्द्रियजाति नामकर्म-३३६ धन्ना अनगार-४५७ धर्म-१७६-७७, २४६-५१, ३७६-७, ५१७, ५२१, ६१६, ६८०, ६६० धर्मकथा से निर्जरा और पुण्य-२१२ धर्मकथा स्वाध्याय तप-६६७ धर्म ध्यान तप-६६८, ६६६, ६७१ धर्मध्यानं तप की अनुप्रेक्षाएँ-६७० धर्म बनाम कर्म-१७६-७ धर्मव्यवसायी-४८१ धर्मस्थित-४८०-८१ धर्माधर्म व्यवसायी-४८१ धर्माधर्मस्थित-४८०-८१ धर्माधर्मी-४८० धर्मास्तिकाय-२७, ७५, ७२-७६, ८१, ८२, १२७, १२८, ७४५ धर्मास्तिकाय के स्कंधादि भेद-७६-८१ धर्मी-४८० धूप-१०६, ११३ ध्यान-४७०-७१ ध्यान-जीव-परिणाम–४११ ध्यान तप-६६८-७१ दंडायतिक तप-६५० दंशमशक परीषह-५२१ दर्शन-३०७, ३१०, ३११, ३७५, ५७६-८१ दर्शन क्रिया आसव-३८३ दर्शन मोहनीयकर्म-३११, ३२०, ५८६ दर्शनमोहनीय कर्म और मिथ्यात्व आस्रव ४२५ दर्शनविनय तप-६५६-६१ दर्शन-विशुद्धि-२१५

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