Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 808
________________ शब्द-सूची ७८७ दर्शनावरणीय कर्म-३८, ३६, १०७, १५५, ___३०७, ३१०, ५८०, ७१६ दर्शनावरणीय कर्म के बन्ध-हेतु-२२६, ३१० दलिक कर्म-६७५-६ दस धर्म-५१७-२० दस-विकृतियाँ-११४ दान-२०२, २१६-२०, २३३-३६, २४६, ३२४ दान अन्तराय कर्म-३२४ दीनता-३४३ दीर्घ शब्द-११० दीर्घायुष्य कर्म के बंध-हेतु-२०६-११ दुःख-२४८, २७५, २८१, २८८, २६०, ___३२८-२९, ३६१, ७२४ दुरभिगंध नामकर्म-३३८ दुर्गति-६१५ दुर्भगनाम कर्म-३३६ दुर्लभ-२५२ दुःस्वर नामकर्म-३३६ दृष्टलाभचर्या-६४२ दृष्टि-५८२ दृष्टिसम्पन्नता-२३२ देवगति-३१५ देवानन्द सूरि-७२७ देवायुष्य कर्म-३३० देवायुष्य के बंध-हेतु-२२६ देवेन्द्रसूरि-४२०, ५१२, ५१५, ६०८ देश-७६, ३०६ देशघाती-३०४, ३१२ देश आराधक-६७७, ६७६ द्रव्य-२७-२८, ३७, ४१, ४३, ६७, ६८, ७३, ७४, ११८, १२७-२८, ४०१ द्रव्याभिग्रहचर्या-६४१ द्रव्य का अस्तित्व-६८-६६ द्रव्य जीव के गुणादि भावजीव हैं-४४ द्रव्य जीव के भाव-३७ द्रव्य जीव का स्वरूप-४०-४४ द्रव्य बन्ध-७०७ द्रव्य मन-४२० द्रव्य योग-२७७, ४६०-६३ द्रव्य योग बनाम कर्म-४६२-६३ द्रव्य लेश्या-४६८ द्रव्य वैधर्म्य-१२६ द्रव्यव्युत्सर्ग तप-६७१-७२ द्रव्य संयोग-४८३ द्रव्य साधर्म्य-१२६ द्रव्यों का सामान्य लक्षण-३३ द्वीन्द्रिय असंयम-४७३ द्वीन्द्रिय जातिनाम कर्म-३३६ द्वेष-७१०-११ नथमल, मुनि श्री-६१६ नपुंसक लिङ्गी-७५१, ७५४ नपुंसकवेद-३१७-१८ नमस्कार पुण्य-२००, २३३-४ नरकगति नामकर्म-३३६ नरकानुपूर्वी नामकर्म-३३८ नरकायुष्य कर्म-३३० नरकायुष्य के बंध-हेतु-२२४ नव पदार्थ-२२-२३


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