Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 810
________________ शब्द-सूची ७८६ निर्जरा-अकाम किसके होती है ?-६०६, निर्जरा की एकान्त शुद्ध करनी-६२५ ६१०, ६११, ६१२ निर्जरा की करनी-५२७, ६२४ निर्जरा और अनादि कर्मबन्ध-५७०-७२ । निर्जरा की चार परिभाषाएँ-६२२-२४ निर्जरा और अनतराय कर्म निर्जरा कैसे होती है ?-६०८-२१ का-क्षयोपशम निर्जरा के भेदों का आधार-६२१-२२ ५८३-८६ निर्जरा बनाम वेदना-५६८ निर्जरा और उदय आदि भाव-५७२-७५ निर्जरा-सकाम किसके होती है ?-६०८, निर्जरा और उसकी प्रक्रिया-६२१-२५ ६ ०६, ६१०, ६११, ६१२ निर्जरा और क्षायिक भाव-५८६-८८ निर्जरा सातवाँ पदार्थ-५६८-७० निर्जरा और जयाचार्य-६१४, ६१७-६१६ । निर्जरा सावध करनी से भी-६१३ निर्जरा और ज्ञानावरणीय कर्म का क्षयोपशम निर्जरा-सवाद्य करनी से होनेवाली से पाप-५७५ बंध-६१३ निर्जरा और त्याग-१७७-७६ निर्जरा-सावद्य कार्य से नहीं-६१४ निर्जरा और दर्शनावरणीय कर्म का निर्जरा शुभ योग से-६८३-६८८ क्षयोपशम-५८०-१ निर्मल भाव-५८८-८६ निर्जरा और धोबी का रूपक-६२४-२५ निवर्तन योग-४५७-५८ निर्जरा निरवद्य-६६१-६२ निर्वाण-२३, ५६६-७० निर्जरा और निर्जरा की करनी दोनों निर्विकृति-६४५-४६ निरवद्य-६६१-६२ निर्व्याघात अनशन-६३१-२ निर्जरा और निर्जरा की करनी भिन्न-भिन्न निर्हारिम अनशन-६३२-३३ -६६१-६२ निर्हारी शब्द-११० निर्जरा और पुण्य की करनी एक है-२४७ । निसर्ग क्रिया आस्रव-३८४ निर्जरा और मोक्ष में अन्तर-५७५ निषेक-६७४ निर्जरा और मोहनीय कर्म का । निषेक काल-७२२-२३ उपशम- ५८६ निष्कंप सकंप-४१५-४१६ निर्जरा और मोहनीय कर्म का क्षयोपशम निष्क्रिय द्रव्य-७५ ५८१.६३ निष्ठा-२३ निर्जरा का स्वरूप-५२७, ५७०, ६२४, नीचगोत्र कर्म के उपभेद-३४२-४३ ६७४ नीचगोत्र के बंध-हेतु--२२८

Loading...

Page Navigation
1 ... 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826