Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 803
________________ ७८२ नव पदार्थ कर्मभेद-६७५-७६, ७२५ कर्मरहित जीव की गति-७४४ कर्मस्कन्ध के १६ गुण-७२६ कर्म स्थिति-७२१-२२ कर्महेतु-२६४-६५, २६८ कर्मो (आठ) का स्वरूप-१५५ कर्मों के नाम गुणनिष्पन्न हैं-१६८ कल्पनीय-२३७-३८ कल्याणकारी कर्म-बन्ध के दस बोल २३१-३२ कल्याणकारी कर्मो के बंध-हेतु-२२२-२३ । कषाय-३१२-१६, ३१८, ३२०, ३७८, ४८४, ५३०, ७०६-११ कषाय आस्रव-३७८-७६ कषाय प्रतिसंलीनता तप-६५२-५३ कष्ट-६१३-१४ कारण-२८२, ४०३-४ ४१४ कार्तिकेय-६०६, ६१२, ६७६ कार्मण योग एवं आस्रव-४५६-५७ कार्मण वर्गणा-२८२, ७२६ कार्मण शरीर-१०८ कार्य-२८२, ४०३ कार्य (सांसारिक) जीव परिणाम हैं-४२१-२२ काल-७२२-२३ काल द्रव्य-२७, ८३-८५, ६४ काल अरूपी अजीव द्रव्य-८३-८४ काल अस्तिकाय नहीं है-६० काल (वर्तमान) एक समय रूप है-८६ काल और समय-६० काल के स्कन्धादि भेद नहीं-८६-६१ काल का क्षेत्र-८७-८६ काल का क्षेत्र-प्रमाण-६३ काल की अनन्त पर्याएँ-६४ काल की निरन्तर उत्पत्ति-८५-८६ काल के अनन्त द्रव्य-८५ काल के अनन्त समय-६४-५ काल के तीन भाग-८६ काल के भेद-६१-६३ काल द्रव्य का स्वरूप-८३-८६ काल द्रव्य शाश्वताशाश्वत कैसे-८६ कालसंयोग---४८३ कालनामा द्रव्य-६० कालाणु-८६ कालाभिग्रह चर्या-६४१ कालास्यवेषि पुत्र-५४७ काकली शब्द-११० कान्त शब्द-११२ कान्ति शब्द-१०६ कामभोग-१५१, १७७, २४८, २५१ काय असंयम-४७३ काय आस्रव--३८१ कायक्लेश तप-६४८-५१ कायगुप्ति-५१४ काय पुण्य-२०० काय योग-४५४-५६ काय विनय तप-६६२ काय संवर-५२६ कायिकीक्रिया आस्रव--३८.३

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