Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati
________________
शब्द-सूची
७५३
कालोदायी-१५७ किंकिणीश्वर शब्द-११० क्रिया-४०४, ४१८, ४२१, ५३१ क्रियावन्त-७५ कीलिकासंहनन नामकर्म-३३७ कुन्दकुन्दाचार्य-१३१, २०७, ४०२, ४२७,
४६६, ४७०, ५१२ कुब्जसंस्थान नामकर्म-३३७ कुल-६६५ कुशल मन-४१६-२० कुशलमूलनिर्जरा-६०६ कुशील निर्ग्रन्थ-५३७ कृष्ण-३७ कृष्णलेश्या-४०६-१० केवलज्ञान-३६६, ५७७, ७४१ केवलज्ञानावरणीय कर्म-३०४-५ केवलदर्शनावरणीय कर्म-३०७, ३१० केवली-३१६, ४१५ केशी-३६५-६६ कोष्टक द्वारा जीवाजीव का ज्ञान-७६४ क्रोध-३१५ क्रोध आस्रव-३८२ क्षणलव संवेग-२१६ क्षपण-४८५-६ क्षमा-५१७ क्षयोपशम-३६, ५३८-३६ क्षान्ति क्षमणता-२३२ क्षुधा परीषह-५२१ क्षेत्र-संयोग-४८३
क्षेत्राभिग्रह चर्या-६४१ खूबचन्द्र सिद्धान्त शास्त्री-६१२ गण-६६५ गणधर गौतम-२१-२२ गति-११४, ७४५ गंध-४५३ गर्व-६६२ गाङ्गेय अनगार-७५१ गिलरीथ, इ० एस०-१२४ गुण-२७ गुण-प्रमाण-५४६-४७ गुप्ति-५१३-१५,६८४ गुणस्थान-५२७ गुरुत्व भाव-२६४ गुरुवत्सलता-२१५ गृहलिङ्गी सिद्ध-७५१ गृहस्थ-४५१ गोचरी-६४४ गोमूत्रिका-६३७ गोशालक-४७५ गोत्रकर्म-३६, १०७, १५५, १६७, २२८-२६,
३४१-४३, ६६१, ७१६, ७१७ गौतम-४१५, ४२५, ४२६, ४६६, ४७४-७५,
४७६, ५३८, ५४३, ५४४, ५४७-४८, ५७६, ६२२, ६२३, ६७४, ७१०, ७२५,
७२७, ७५४ ग्लान-६६५ घट-बढ़ (किस भाव या तत्व की)-४८४-८६ घन तप-६२८
Page Navigation
1 ... 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826