________________
गंध पदार्थ
દo,
जिस तरह (सूर्य की गर्मी या उत्सिंचन से) तालाब का पानी घटता है, उसी प्रकार (तप आदि से) जीव के कर्म घटते हैं कर्मों के घटने से जीव कुछ-एक देश उज्ज्वल-निर्मल होता है, यही निर्जरा है।
जिस तरह (धीरे-धीरे) सर्व जल के सूख जाने से समय पाकर तालाब रिक्त हो जाता है, ठीक उसी तरह सर्व कर्मों के क्षय हो जाने पर जीव कर्मों से मुक्त हो जाता है। इस तरह मोक्ष रिक्त तालाब के समान है।
६. बंध आठ कर्मों का होता है। बंध पुदगल की पर्याय है। मैं . इस बंध तत्त्व की पहचान कराता हूँ। ध्यानपूर्वक सुनो।
बंध आठ कर्मों का हो
ढाल : १
१. बंध आस्रव-द्वार से उत्पन्न होता है। बंध को पुण्य और
पापात्मक दो प्रकार का कहा गया है। ये पुण्य-पाप तो द्रव्य-बंध रूप हैं। भगवान ने भाव बंध भी कहा है।
द्रव्य बंध और
भाव बंध (गा० १-३)
२-३. जिस तरह तीर्थंकर उत्पन्न होने पर द्रव्य तीर्थंकर होते हैं
परन्तु भाव तीर्थकर उस समय होते हैं जब कि वे तेरहवें गुणस्थान को प्राप्त करते हैं। उसी तरह जो पुण्य-पाप का बंध कहा गया है, वह द्रव्य पुण्य-पाप का बंध है। भावः पुण्य-पाप बन्ध तब होता है जब कि कर्म उदय में आकर सुख-दुःख, हर्ष-शोक उत्पन्न करते हैं।
४. बंध दो प्रकार का होता है-एक पुण्य कर्मों का बंध दूसरा
पाप कर्मों का। इन दोनों प्रकार के बंध को अच्छी तरह पहचानो।