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: ९ : मोख पदारथ
दुहा १. मोख पदार्थ नवमों कह्यों, ते सगला मांहें श्रीकार।
सर्व गुणां करी सहीत चं, त्यांरा सुखां रो छेह न पार ।।
२. करमां तूं मूकाणा ते मोख छे, त्यांरा छे नाम विशेष ।
परमपद निरवांण ते मोख छ, सिद्ध सिव आदि छे नाम अनेक।।
३. परमपद उत्कष्टो पद पामीयो, तिण सूं परमपद त्यांरो नाम ।
करम दावानल मिट सीतल थया, तिण सूं निरवांण नाम छे तांम।।
४. सर्व कार्य सिधा छे तेहनां, तिण सूं सिध कह्यां छे तांम।
उपद्रव करें में रहीत हुआ, तिण सूं सिव कहिजे त्यांरो नाम।।
५. इण अनुसारे जाणजो, मोख रा गुण परमाणे नाम। हिवें मोख तणा सुख वरणवं, ते सुणजो राखे चित्त ठांम।।
ढाल
(पाखंड वधसी आरे पांच में) १. मोख पदार्थ नां सुख सासता रे, तिण सुखां रो कदेय न आवें अंत रे। ते सुख अमोलक निज गुण जीव रा रे, अनंत सुख भाष्या छे भगवंत रे।।
मोख पदार्थ , सारां सिरे रे* ।।
* यह आँकड़ी प्रत्येक गाथा के अन्त में समझनी चाहिए।