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१.
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५.
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मोक्ष पदार्थ
१.
दोहा
मोक्ष नवाँ पदार्थ कहा गया है। यह पदार्थों में सर्वोत्तम है' । इसमें सब गुणों का वास है। मोक्ष के सुखों का कोई छोर या पार नहीं है।
३-४. सर्वोत्कृष्ट पद प्राप्त कर चुकने से जीव 'परमपद' प्राप्त, कर्मरूपी दावानल को शान्त कर शीतल हो चुकने से 'निर्वाण' प्राप्त, सर्व कार्य सिद्ध कर चुकने से 'सिद्ध' और सर्व-जन्म-जरा-व्याधि रूप उपद्रवों से रहित हो चुकने से 'शिव' कहलाता है ।
जीव का कर्मों से मुक्त होना ही उसका मोक्ष है। मुक्त जीवों के अनेक नाम हैं जिनमें 'परमपद', 'निर्वाण', 'सिद्ध' और 'शिव' आदि प्रमुख हैं ।
ये मोक्ष के गुणानुसार नाम हैं। आगे मोक्ष के सुखों का वर्णन करता हूँ स्थिर चित्त हो कर सुनो।
ढाल
मोक्ष के सुख शाश्वत हैं। इन सुखों का कभी अन्त नहीं आता। वीर भगवान ने इन अमूल्य अनन्त सुखों को जीव का स्वाभाविक गुण बतलाया है ।
नवाँ पदार्थ : मोक्ष
मुक्त जीव के कुछ अभिवचन (दो० २-५)
मोक्ष - सुख
(गा० १-५)