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जीव अजीव : टिप्पणी
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प्रश्नोत्तर-३
१. नव पदार्थों में जीव कितने हैं अजीव कितने हैं ? जीव, आस्रव, संवर, निर्जरा और मोक्ष-ये पाँच जीव हैं और अजीव, पुण्य, पाप और बन्ध-ये चार अजीव हैं।
२. नव पदार्थों में रूपी कितने हैं और अरूपी कितने ? जीव, आस्रव संवर, निर्जरा और मोक्ष-ये पाँच अरूपी हैं, अजीव रूपी -अरूपी दोनों है । पुण्य, पाप और बन्ध रूपी हैं। ज्ञेय-अज्ञेय, हेय-उपादेय के विषय में स्वामीजी के विचार नीचे दिये जाते हैं । उन्होंने कहा है :
१. नवों ही पदार्थ ज्ञेय हैं। जीव को जीव जानो । अजीव को अजीव जानो । पुण्य को पुण्य जानो । पाप को पाप जानो । आस्रव को आस्रव जानो । संवर को संवर जानो । निर्जरा को निर्जरा जानो । बन्ध को बन्ध जानो । मोक्षं को मोक्ष जानो । उनके अनुसार I केवल जीव और अजीव पदार्थ ही ज्ञेय नहीं जैसा कि यंत्र में कहा है।
२. नौ पदार्थों में तीन आदरणीय हैं - ( १ ) संवर (२) निर्जरा और (३) मोक्ष और शेष छोड़ने योग्य हैं। इस विषय में निम्न प्रश्नोत्तर प्राप्त हैं :
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(१) जीव छोड़ने योग्य है या आदर-योग्य ? छोड़ने योग्य । किस न्याय से ? जीव स्वयं का भाजन करे अर्थात् आत्म-रमण करे। अन्य जीव पर ममत्व न करे ।
(२) अजीव छोड़ने योग्य है या आदर- योग्य ? छोड़ने योग्य । किस न्याय से ? अजीव है इसलिए ।
(३) पुण्य छोड़ने - योग्य है या आदर-योग्य ? छोड़ने योग्य । किस न्याय से ? पुण्य शुभ कर्म है। कर्म पुद्गल है, वह छोड़ने योग्य है ।
(५) आस्रव छोड़ने योग्य है अथवा आदर-योग्य हैं ? छोड़ने योग्य | किस न्याय से ? आस्रवद्वार से जीव कर्म लगते हैं। आस्रव कर्म आने के द्वार हैं, अतः छोड़ने योग्य
हैं।
(६) संवर छोड़ने योग्य है अथवा आदर-योग्य ? आदर-योग्य । किस न्याय से ? संवर कर्मों को रोकता है, अतः आदर-योग्य है ।
(७) निर्जरा छोड़ने योग्य है अथवा आदर-योग्य ? आदर-योग्य । किस न्याय से ?
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