Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

Previous | Next

Page 800
________________ शब्द-सूची ७७६ आकाश विस्तीर्ण और निष्क्रिय द्रव्य- ७४-७६ आकाशशाश्वत और स्वतंत्र द्रव्य-७३-७४ आकिञ्चन्य-५१६ आक्रोश परीषह-५२२ आगम भावक्षपण-४८५ आगम भावलाभ-४८४ आचाम्ल-६४६ आचार्य आत्मारामजी-६२६ आचार्य जवाहरलालजी-४२२, ४६२ आच्छादित दर्शनवाला-३१० आतप-१०६, ११३ आतापक तप-६५० आतोद्य शब्द-१११ आत्त शब्द-११२ आत्मशुद्ध्यर्थ तप किस के होता है ? ६७६-८० आत्मशुद्धयर्थ तप और कर्मक्षय-६७३-७६ आत्मा-२५, २७, ३२, ३५, ४०५, ४०७, ४१३, ५०५, ५१७. ५४५ आत्माओं के स्वाभाविक आठ गुण-७४७ आदरणीय पदार्थ-७६७-६८ आदाननिक्षेपण समिति-५१६ आदिभूत प्रमाण-६२ आधिकरणिकी क्रिया आस्रव-३८३ आध्यात्मिक वीर-४६ आनूपूर्वी-१६३, ३३६ आनुपूर्वी नामकर्म-३३८ आभिग्रहिक मिथ्यात्व-३७४ आभिनिबोधिक ज्ञान-५७५-५७६ आभिनिबोधिक ज्ञानविनय-६५४ आभिनिबोधिक ज्ञानावरणीय कर्म-३०४ आभिनिवेशिक मिथ्यात्व-३७४ आभ्यन्तर तप-६५४-५५ आभ्यन्तर शम्बूकावर्त्त-६४४ आयतंगत्वाप्रत्यागता-६३७ आयुष्य-३८-३६, ३२९-३०, ३३६ आयुष्य कर्म-३२६-३० आयुष्य व्युत्सर्ग-६७२ आरा-६२, ६३ आराधना-५४८ आर्जव-५१८ आर्तध्यान-४११, ६६८ आलोचनाह प्रायश्चित्त तप-६५७ आवलिका-८८, ६१ आवश्यक-२१६ आस्रव-४५, २६३. ३२०-२१, ३२७, ३६८. ६६, ३८६, ४२३, ४४६-८६, ७६५-६७ आस्रव अनुप्रेक्षा-५२० आस्रव एवं संवर का सामान्य स्वरूप-३८ आस्रव और अध्यवसाय–४१०-११ आस्रव और अविरति अशुभ लेश्या के परिणाम-४०६ आस्रव और कर्म में वैभिन्य-३६६ आस्रव और जीव-प्रदेशों की चंचलता ४१३-१६ आस्रव और तालाब का दृष्टान्त-३८८-८६ आस्रव और नौका का दृष्टान्त-३६३

Loading...

Page Navigation
1 ... 798 799 800 801 802 803 804 805 806 807 808 809 810 811 812 813 814 815 816 817 818 819 820 821 822 823 824 825 826