Book Title: Nav Padarth
Author(s): Shreechand Rampuriya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 798
________________ शब्द-सूची ७७७ अपनीतोपनीत चर्या-६४२ अपरिकर्म अनशन-६३२ अपर्याप्त नामकर्म-३३८ अपवर्तना-७२६ अपहृत्य असंयम-४७३ अपायानुप्रेक्षा-६७१ अपार्श्वस्थता-२३२ अपूर्वज्ञान-ग्रहण-२१८ अपृष्टलाभचर्या-६४२ अप्काय असंयम-४७२ अप्रत्याख्यानी-४७८ अप्रत्याख्यान क्रिया आस्रव-३८६ अप्रत्याख्यानावरणीय क्रोध-३१३ अप्रत्याख्यानावरणीय मान-३१३ अप्रत्याख्यानावरणीय माया-३१३ अप्रत्याख्यानावरणीय लोभ-३१३ अप्रत्याख्यानी कषाय-३१८ अप्रतिहतप्रत्याख्यात कर्मा-५२८, ५२६ अप्रमत्त संयत-४८२ अप्रमाद संवर-५११, ५२४, ५२६-३० अप्रमार्जन असंयम-४७३ अप्रशस्त कायविनय-६६२ अप्रशस्त ध्यान-४७०-७१ अप्रशस्त भाव-२४५ अप्रशस्त मनविनय-६६१ अप्रशस्त वचनविनय-६६२ अप्रशस्त विहायोगतिनामकर्म-३३८ अप्रावृतक तप-६५१ अप्रिय शब्द-११२ अबाधाकाल-७२२-२३ अबुद्धिपूर्वक निर्जरा-६०६ अब्रह्म-४४६ अभयकुमार-६८६ अभयदेवसूरि-३८६, ३६८, ४०८, ४६१, ५१४, ६२२, ७०७ अभिक्षालाभ चर्या-६४२ अभिक्ष्णज्ञानोपयोग-२१५ अभिग्रह-६४०-४१, ६४५ अभिगृहीत मिथ्यात्व-३७४ अभ्याख्यान-२६२ अमनआम शब्द-११२ अमनोज्ञ शब्द-११२ अमात्सर्य-२२५ अमायाविता-२३२ . अमृतचन्द्राचार्य-३६६ अमूर्त-४०, २७६, २८३, ४१४ अयन-६१ अयुत-६१ अयुतांग-६१ अयशकीर्त्तिनाम कर्म-३३६ अयोग संवर-५११, ५२४, ५२६-५३१ अरति-२६२ अरति परीषह-५२२ अरति मोहनीय कर्म-३१६ अरसाहार-६४७ अरिहंत वत्सलता-२१४ अरूपी- ४०, ६८, ८३, २८२, ४१०, ४७४, ७६६

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