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नव पदार्थ
७. तलाव नों पांणी घटे तिण बिधे, जीव रे घटे , करम ।
जब कांयक जीव उजल हुवें, ते तो जें निरजरा धर्म।।
८. कदे तलाव रीतो हुवें, सर्व पाणी तणो हुवें सोष ।
ज्यूं सर्व करमा नों सोपंत हुवें, रीता तलाव ज्यूं मोष ।।
६. बंध तो छे आठ करमां तणो, ते पदगल नी पर्याय।
तिण बंधं तणी ओलखणा कहूं, ते सुणजो चित ल्याय।।
ढाल : १
(अइ २ कर्म विंट . ..) १. बंध नीपजें छे आश्रव दुवार थी, तिण बंध ने कह्यों पुन पापो जी। ते पुन पाप तो दरब रूप में, भावे बंध कह्यों जिण आपो जी।।
बंध पदार्थ ओलखो ।।
२. ज्यूं तीथंकर आय उपनां, ते तो दरब तीथंकर जाणो जी। ___भावे तीथंकर तो जिण समे, होसी तेरमें गुणठांणों जी।।
३. ज्यूं पुन ने पाप लागो कह्यों, ते तो दरब छे पुन पापो जी। ... भावे पुन पाप तो उदे आयां हुसी, सुख दुःख सोग संतापो जी।।
४. तिण बंध तणा दोय भेद में, एक पुन तणो बंध जाणों जी।
बीजो बंध जें पाप रो, दोनूं बंध री करजो पिछांणो जी।।
* यह आँकड़ी प्रत्येक गाथा के अन्त में इसी प्रकार समझें।