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ढाल : २
१. जीव का एकदेश उज्ज्वल होना अनुपम निर्जरा है। अब
निर्जरा की शुद्ध करनी का विवेचन करता हूँ। स्थिर चित्त रहकर सुनो । नीचे बताई हुई करनी कर्म काटने की शुद्ध
विधि है। २-३ जिस तरह पहिले साबुन डालकर कपड़ों को तपाया जाता
है फिर उनको संभाल कर जल से छाँटा जाता है और फिर साफ जल से धोने से तत्काल कपड़ों का मैल छूट जाता है, उसी तरह आत्मा को पहिले तप द्वारा तपाने से, फिर ज्ञानरूपी जल से छाँटने से और अन्त में ध्यानरूपी
जल में धोने से जीव का कर्मरूपी मैल दूर हो जाता है। ४. ज्ञानरूपी शुद्ध साबुन से, तपरूपी निर्मल नीर से, अंतर
आत्मारूपी धोबी अपने निज गुणरूपी कपड़ों को धोता है।
निर्जरा और धोबी
का दृष्टान्त (गा०२-४)
५.
जो केवल कर्म-क्षय करने का ही कामी है, जिसे और किसी प्रकार की कामना नहीं है, वही निर्जरा की सच्ची करनी करता है और उसका कर्म-मैल झड़ जाता है।
निर्जरा की शुद्ध
करनी
६. कर्म-क्षय करने की उत्तम करनी के बारह भेद हैं। उन्हें ... उल्लासपूर्वक सुनो। इस करनी से जीव उज्ज्वल होता
निर्जरा की करनी
के बारह भेद (गा० ६-४५)
अनशन (गाथा ७-६)
७. निर्जरा की हेतु प्रथम करनी अनशन है। चार प्रकार के
आहार का कुछ काल के लिए या यावज्जीवन के लिए स्वेच्छापूर्वक त्याग कर तपस्या करना अनशन कहलाता