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नव पदार्थ
५. ऊनोदरिका (गा० १०-११) :
दूसरे बाह्य तप के 'ऊणोयरिया'-ऊनोदरिका', 'ओमोरियाओ'-अवमोदरिका और 'ओमोयरणं', 'ओमाण'-अवमौदर्य-ये तीन नाम मिलते हैं।
'ऊण' और 'ओम' दोनों का अर्थ है-कम । उत्तराध्ययन में इसी अर्थ में इनका प्रयोग मिलता है । 'उयर'-उदर का अर्थ है पेट । प्रमाणोपेत मात्रा से आहार की मात्रा कम रखना-पेट को न्यून, हल्का रखना ऊणोदरिका अथवा अवमोदरिका तप कहलाता है। उपलक्षण से सब बातों की आहार, उपधि, भाव-क्रोधादि की न्यूनता के अर्थ में इसका प्रयोग हुआ है। इसी कारण आगम में इसके तीन भेद मिलते हैं-+उपकरण अवमोदरिका, २-भक्तपान अवमोदरिका और ३-भाव अवमोदरिका। इस तप के विषय में आगमों में निम्न प्रश्नोतर मिलता है :
"अवमोदरिका तप कितने प्रकार का है ? "वह दो प्रकार का है-द्रव्य अवमोदरिका और भाव अवमोदरिका । "द्रव्य अवमोदरिका कितने प्रकार का है ? "वह दो प्रकार का है-उपकरण अवमोदरिका और भक्तपान अवमोदरिका ।"
१. (क) उत्त० ३०.८
(ख) समवायाङ्ग सम० ६
(ग) भगवती २५.७ २. (क) औपपातिक सम० ३०
(ख) ठाणाङ्ग ३.३.१८२ (ग) भगवती २५.७
त०३०.१४,२३ (ख) तत्त्वा० ६.१६ ४. उत्त० ३०.१५,२०,२१.२४ ५. ठाणाङ्ग ३.३.१८२
तिविधा ओमोयरिया पं० तं० उवगरणोमोयरिया भक्तपाणोमोदरिता भावोमोदरिता (क) औपपातिक सम० ३० : से किं तं ओमोयरियाओ? दुविहा पण्णत्ता । तं जहा-दव्योमोदरिया य भावोमोदरिया य। से किं तं दव्वोमोदरिया ? दुविहा ण्णत्ता। तं जहा-उवगरणदव्वोमोदरिया य भत्तपाणदव्ववोमोदरिया य। (ख) भगवती २५.७