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नव पदार्थ
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२६. जीव नें पुदगल रो मेल, तीजा दरब तणो नहीं भेल ।
जीव लगावे जांण २, जब पुदगल लागे छे आंण।।
२७. तेहिज पुदगल छे पुन पाप, त्यांरो करता , जीव आप।
करता तेहिज आश्रव जांणों, तिण में संका मूल म आंणों ।।
२८. जीव छे करमा रो करता, सूतर में पाठ अपड़ता।
कह्यो पहला अंग मझारो, जीव करमां रो करतारो।।
२६. ते पेंहलो इज उदेसों संभालो, ए तो करता कह्यो त्रिहूं कालो।
जीव सरूप नों इधकार, तीन करणे कह्यों करतार ।।
३०. करता तेहिज आश्रव तांम, जीव रा भला मुंडा परिणाम ।
परिणाम ते आश्रव दुवार, ते जीव तणो व्यापार ।।
३१. करता करणी हेतू ने उपाय, ए करमां रा करता कहाय ।
यां सूं करम लागे , आय, त्यां ने आश्रव कह्या जिण राय ।
३५. सावध करणी सू. पाप लागे, तिण सूं दुःख भोगवसी आगे। - सावध करणी नें कहें अजीव, ते तो निश्चें मिथ्याती जीव ।।
३३. जोग सावध निरवद चाल्या, त्यांने जीव दरब में घाल्या।
ज़ोग आतमा कहाँ छ ताम, जोग ने कह्या जीव परिणाम ।।