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नव पदार्थ
३५. पदवी तीर्थंकर ने चक्रवत तणी, वासुदेव बलदेव महंत रे लाल।
वले पदवी मण्डलीक राजा तणी, सारी पुन थकी लहंत रे लाल।।
३६. पदवी देविंद्र ने नरिंद नी, वले पदवी अहमिंद्र वखांण हो लाल।
इत्यादिक मोटी मोटी पदवीयां, सहु पुन तणे परमाण हो लाल।।
३७. जे जे पुदगल परणम्यां सुभपणे, ते तो पुन उदा सूं जाण हो लाल।
त्यां सुं सुख उपजे संसार में, पुन रा फल एह पिछांण हो लाल।।
३८. बाला विछडीया आए मिले, सेंणा तणो मिले संजोग हो लाल।
ते पिण पुन तणा परताप थी, सरीर में न व्यापे रोग हो लाल।।
३६. हाथी घोड़ा रथ पायक तणी, चोरंगणी सेन्या मिले आंण हो लाल।
रिध विरध सुख सपंत मिले, ते पुन तणे परिमाण हो लाल।।
४०. खेतू वत्थू हिरण सोवनादिक, धन धान ने कुम्भी धात हो लाल।
दोपद चोपदादिक आए मिलै, ते तो पुन तणो परताप हो लाल।।
४१. हीरा मांणक मोती मूंगीया, वले रत्नां री जात अनेक हो लाल।
ते सारा मिलै छ पुन थकी, पुन विना मिले नहीं एक हो लाल।
४२. गमती गमती विनेवंत अस्त्री, ते अपछर रे उणीयार हो लाल।
ते पुन थकी आए मिले, वले पुत्र घणा श्रीकार हो लाल।।
४३. वले सुख पामें देवता तणा, ते तो पूरा कह्या न जाय हो लाल।
पल सागरां लग सुख भोगवे, ते तो पुन तणे पसाय हो लाल ।।