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नव पदार्थ
(२५)
(३२)
२०. स्थावरनाम ५१
स्थावरनाम २१. सूक्ष्मनाम ५२
सूक्ष्मनाम २२. बादरनाम ५३ बादरनाम
(२७) २३. पर्याप्तनाम ५४ पर्याप्तनाम (२८) २४. अपर्याप्तनाम ५५
अपर्याप्तनाम २५. साधारण. शरीरनाम ५६
साधरणशरीरनाम २६. प्रत्येकशरीर
नाम ५७ प्रत्येकशरीरनाम (२६) २७. स्थिरनाम ५८ स्थिरनाम
(३०) २८. अस्थिरनाम ५६
अस्थिरनाम २६. शुभनाम ६० शुभनाम
(३१) ३०. अशुभनाम ६१
अशुभनाम ३१. सुभगनाम- ६२ सुभगनाम ३२. दुर्भगनाम ६३
दुर्भगनाम ३३. सुस्वरनाम ६४ सुस्वरनाम (३३) ३४. दुःस्वरनाम ६५
दुःस्वरनाम ३५. आदेयनाम ६६ आदेयनाम
(३४) ३६. अनादेयनाम ६७
- अनादेयनाम ३७. यशकीर्तिनाम ६८ यशकीर्तिनाम (३५) ३८. अयशकीर्त्तिनाम ६६
अयशकीर्त्तिनाम ३६. निर्माणनाम ७० निर्माणनाम (३६) ४०. तीर्थंकर
नाम ७१ तीर्थंकरनाम __ (३७)
उपर्युक्त विवेचन में क्रम ५ में उल्लिखित शरीर-अंगोपांग उत्तर-प्रकृति के बाद आगमों में 'शरीरबंधननाम' और 'शरीरसंघातनाम' इन दो उत्तर प्रकृतियों का नामोल्लेख अधिक है। इस तरह नाम कर्म की उत्तर प्रकृतियों की कुल संख्या उक्त ४०+२=४२ होती है। आगमों में इसी संख्या का उल्लेख पाया जाता है।
१. समवायांग सम० ४२; प्रज्ञापना २३.२.२६३