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पुण्य पदार्थ (टाल : २) : टिप्पणी ११
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सिद्धसेन ने 'त्याग' का अर्थ भूतों को और विशेषतः यतियों को दान देना किया है। यतियों के अतिरिक्त अन्य भूतों को दिया गया दान 'त्याग' की परिभाषा के अन्तर्गत नहीं आता। अभयदेव ने यतिजनोचित दान को ही त्याग कहा है।
(१६) वैयावृत्त्य । तत्त्वार्थ : ‘संघसाधुवैयावृत्त्यकरण' | दिगंबरीय पाठ में 'संघ' शब्द नहीं है। संघ का अर्थ सिद्धसेन ने साधु, साध्वी, श्रावक और श्राविका किया है। इनके अनुसार वैयावृत्त्य का अर्थ है संघ तथा साधुओं की प्रासुक आहारादि से सेवा करना। दिगम्बरीय पाठ में 'संघ' शब्द न होने से साधुओं के अतिरिक्त श्रावक-श्राविकाओं की वैयावृत्त्य का भाव नहीं आता। वैयावृत्त्य का आगमिक अर्थ है दस-विध सेवा अर्थात् आचार्य, उपाध्याय, स्थविर, तपस्वी, ग्लान, शैक्ष, कुल, गण, संघ और साधर्मिक की सेवा । यहाँ संघ का अर्थ है गण-समुदाय । साधर्मिक का अर्थ है समान धर्मवाला साधु अथवा साध्वी । अतः सिद्धसेन का संघ शब्द का अ सन्देहास्पद हैं। 'सर्वार्थसिद्धि' में इसका अर्थ किया है-“गुणियों में-साधुओं में दुःख पड़ने पर निरवद्य विधि से उसे दूर करना ।"
(१७) समाधि : इसके स्थान में 'तत्त्वार्थसूत्र' में 'संघसाधुसमाधिकरण' है। दिगंबरीय पाठ में 'संघ' शब्द नहीं है। जैसे भाण्डागार में आग लग जाने पर बहुत से लोगों का उपकार होने से आग को शान्त किया जाता है उसी प्रकार अनेक व्रत और शील से समृद्ध मुनि के तप करते हुए किसी कारण से विघ्न उत्पन्न होने पर उसका संधारण
१. सिद्धासेन टीकाः सङ्घः-समूहःसम्यक्त्वज्ञानचरणानां तदाधारश्च साध्वादिश्चतुर्विधः। २. सिद्धसेन टीका : व्यावृत्तस्य भावो वैयावृत्त्यं, साधूनां, मुमुक्षूणां प्रासुकाहारोपधिशय्यास्तथा
भेषज विश्रामणादिषु पूर्वत्र च व्यावृत्तस्य मनोवाक्कायैः शुद्धः परिणामो वैयावृत्त्यमुच्यते। ३. (क) ठाणाङ्ग ५. १-३६७ टीका : कुलं-चान्द्रादिकं साधुसमुदायविशेषरूपं प्रतीतं,
गणः-कुलसमुदायः सङ्घो-गणसमुदाय। (ख) भगवती : ८.८ की वृत्ति : समूहंणं-ति समूह-साधुसमुदायं प्रतीत्य, तत्र कुलं
चान्द्रादिकं, तत्समूहो गणः कोटिकादिः, तत्समूहस्सघंः, प्रत्यनीकता चैतेषामवर्ण
वादादिभिरिति। ४. (क) ठाणाङ्ग ५-१-३६७ टीका :
साधर्मिकः समानधर्मा लिङ्गत : प्रवचनतश्चेति (ख) ठाणाङ्ग १०.१.७१२ टीका : साहम्मिय- त्ति समानो धर्मःसधर्मस्तेन चरन्तीति
साधर्मकाः- साधवः ५. सर्वार्थसिद्धि : गुणवदुःखोपनिपाते निरवद्येन विधिना तदपहरणं वैयावृत्त्यम्।