________________
अजीव पदार्थ : टिप्पणी २४
छेदन-भेदन नहीं हो सकता। उसमें शस्त्र-क्रमण नहीं हो सकता। अगर ऐसा हो तो वह परमाणु ही नहीं रहेगा।
(२) परमाणु-पुद्गल अर्द्धरहित, मध्यरहित और प्रदेशरहित होता है।
(३) वह कदाच् सकंप होता है और कदाच निष्कंप। जब वह सकंप होता है तो ' सर्व अंश से सकंप होता है।
(४) परमाणु-पुद्गल परस्पर में जुड़ सकते हैं क्योंकि उनमें चिकनापन होता है। मिले हुए अनेक परमाणु-पुद्गल पुनः जुदे हो सकते हैं पर जुदे होते समय जो विभाग होंगे उनमें से किसी में भी एक परमाणु से कम नहीं होगा। कारण परमाणु अन्तिम अंश और अखण्ड होता है।
(५) परमाणु को स्पर्श करता हुआ परमाणु सर्व भाग से स्पृष्ट भाग का स्पर्श करता है। परमाणु के अविभागी होने से अन्य विकल्प नहीं घटता।
(६) दो परमाणुओं के इकट्ठे होने पर द्विप्रदेशी स्कंध होता है। इसी तरह त्रिप्रदेशी . यावत् अनन्त प्रदेशी स्कंध होता है।
(७) परमाणु काल की अपेक्षा से परमाणु रूप में जघन्य एक समय और उत्कृष्ट से असंख्यात काल तक रहता है |
(८) परमाणु पुद्गल एक समय में लोक के किसी भी दिशा के एक अन्त से प्रतिपक्षी दिशा के अन्त तक पहुँच सकता है।
(६) परमाणु द्रव्यार्थरूप से शाश्वत है और वर्णादि पर्याय की अपेक्षा से अशाश्वत ।
१. भगवती ५.७ २. वही ५.७ ३. वही ५.७
*
वही २५.४
*
वही १.१० ६. वही ५.७ ७. वही १२.४
वही ५.७ ६. वही १८.१० १०. वही १४.४