Book Title: Atmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Atmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
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| पंगल मूर्ति पद्यावीर
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उदयशंकर भट्ट वह कौन है अमिताभ का कर ध्यान सुख पाता नहीं। वह कौन है उनके गुणों पर मुग्ध हो जाता नहीं ।। वह कौन जिस ने सीख मानी सत्य का पालन किया । आनन्द जीवन मुक्त हो यश का न अक्षय धन लिया ॥१॥ वे महाप्रभु विश्व के विभु सत्य के अवतार थे । वे जगत् की चेतना के नियम के संसार थे ॥ वे अहिंसा, विश्वसमता, दया, विद्याधाम थे । वे सुकवि की कल्पना से मंजु मृदु अभिराम थे ॥ २ ॥ यह अपावन देश पावन नाम से उनके हुआ । यह दया धन, सुखद कानन काम से उनके हुआ । वे महामति मान, गुण की खान, सज्जन हर्षे थे। वे दुःखी के सुख, अगति के गति, महानादर्श थे ॥३॥ आइये, उनके चरित से आज फिर कुछ सीख लें। महाव्रत, भगवान 'जिन' से आज फिर कुछ सीख लें ॥ विश्व उनके कृपा कण पा मुक्ति अधिकारी बना । रंक राजा का मुकुट, विश्वेश संसारी बना ॥४॥
[श्री आत्मारामजी
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