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श्री. ईश्वरलाल जैन आचार्यश्री ने गुरुदेव श्री विजयानन्दसूरि महाराज का तथा अपना सर्व पुस्तक संग्रह अम्बाला में रखना निश्चित किया और वहां लायब्रेरी की स्थापना की । गुरुदेव तथा आचार्यश्री का पुस्तक संग्रह था ही साथ ही तत्रस्थ मन्दिरजी में पुराना भण्डार था, वह भी प्राप्त हो गया, और मुनि राजविजयजी ने भी अपना कितना ही हस्तलिखित संग्रह वहीं दे दिया।
इस पुस्तकालय में ७७७ हस्तलिखित शास्त्र, ५४६ मुद्रित शास्त्र तथा भिन्न भिन्न भाषाओं और विषयों की ६०८६ पुस्तके वर्तमान समय में विद्यमान हैं, जिस से जैन तथा अजैन जनता पूरा लाभ ले रही है । श्री आत्मानन्द जैन पब्लिक रीडिंगरूम अम्बाला शहर
सन् १९११ में कुछ जैन युवकों के प्रयास से यह रीडिंग सभा खोला गया, अच्छे २ दैनिक, साप्ताहिक, तथा मासिक पत्र मंगवाये गये और वहां की म्युनिसिपल कमेटी से रु.१००) वार्षिक सहायता भी मिलने लगी। इस वाचनालय से अम्बाला शहर की जनता की अच्छी सेवा हो रही है । इस के अतिरिक्त निम्नलिखित लायबेरियों का नाम भी उल्लेखनीय है जो कि वर्षों से गुरुदेव के नाम पर स्थापित हैं, और जहां पुस्तकों का अच्छा संग्रह है।
श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी अमृतसर श्री आत्मानन्द जैन पुस्तकालय होशियारपुर श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी जण्डियालागुरु ( अमृतसर) श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी जूनागढ़ स्टेट श्री आत्मवल्लभ जैन सेन्ट्रल लायब्रेरी मादड़ी ( मारवाड़ )
पत्र-पत्रिकायें : स्वर्गीय गुरुदेव के नाम से तीन पत्र-पत्रिकायें प्रकाश में आई ।
१ आत्मानन्द प्रकाश (गुजराती मासिक)२ आत्मानन्द पत्रिका (हिन्दी मासिक) ३ आत्मानन्द (हिन्दी मासिक )। शताब्दि ग्रंथ ]
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