Book Title: Atmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Atmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
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(वरेभीवीरमानन्दम् नापक की मन्मेव
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" न्यायाम्भोनिधि जैनाचार्य १००८ श्रीमद्विजयानन्दसूरि प्रसिद्ध नाम श्रीआत्मारामजी
महाराज के जन्मशताब्दि स्मारकग्रन्थ के लिये" (लेखक-वल्लभविजय )
संवत् १८९३ चैत्र सुदि प्रतिपदा बृहस्पतिवार को देश पंजाब जिला फिरोजपुर तहसील जीरा के पास लेहरा ग्राम में चउघरे कर्पूरब्रह्मक्षत्रिय सरदार गणेशचन्द्र की स्त्री रूपादेवी की कूख से एक होनहार बालक का जन्म हुआ जिस की जन्मकुंडली यह है:
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बु. शु. सू.
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रा. चं.
११
में
बृ.
यही बालक संवत् १९९३ चैत्र सुदि प्रतिपदा मंगलवार तारीख २४ मार्च ई. सन् १९३६ के दिन हुई जन्मशताब्दि का नायक है ।
सज्जनों को विदित रहे कि, मईम न्यायांभोनिधि जैनाचार्य १००८ श्रीमद्विजयानंदसूरि प्रसिद्ध नाम श्रीआत्मारामजी महाराज का जन्मशताब्दि महोत्सव नगर बड़ौदा में समाप्त होजाने बाद किसी प्रसंगवश आप की कुंडली देखने से मालूम हुआ कि, आप की कुंडली में लिखे हुए ग्रहानुसार आप का शुभ जन्म गुजरात देश की रूढ़ी मुजिब कार्तिकी अर्थात् कार्तिक सुदि प्रतिपदा को जो संवत् शुरू होता है उस मुजिब गुजराती १८९३ और चैत्री १८९४ चैत्र सुदि एकम गुरुवार को सिद्ध होता है। क्योंकि आप पंजाब में जन्मे हैं इसलिए पंजाब के हिसाब से १८९३ गिनने से १९९३ (गुजराती १९९२ ) चैत्र सुदि एकम को आप को सौ वर्ष पूरे
शताब्दि ग्रंथ
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