Book Title: Atmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Atmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
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श्री. ईश्वरलाल जैन बड़ी साइज़ में प्रकाशित होने लगा, उसमें हिन्दी के साथ कुछ पृष्ठ उर्द के भी दिये गये, जिस से पंजाब की जैन समाज में दिलचस्पी बढ़े। श्री आत्मानन्द जैन महासभा पंजाब
__ यह संस्था पंजाब के श्वेताम्बर समाज की एक महान संस्था है, जिसे स्थापित हुए लगभग १५ वर्ष हुए हैं । इस संस्था के संस्थापक स्वनामधन्य स्वर्गीय मुनिराज पं. श्री सोहनविजयजी महाराज हैं, जिन के हृदय में श्वेताम्बर समाज में जागृति पैदा करने की अगाध लगन थी, और जिन्हों ने गुरुदेव की भावना को पूर्ण करने में ही अपनी जीवनलीला समाप्त कर दी। जिस समय महासभा संस्था स्थापित की गई थी, समाज की नैया डगमगा रही थी, फजूल खर्ची और फैशन परस्ती ने अच्छी तरह घर किया हुआ था, विवाहशादियों में अपनी सामर्थ्य से भी अधिक खर्च करना कितनी मूर्खता है, इन रूढ़ियों और कुरीतियों के नामोनिशान मेटने, एवं अपने धर्म की रक्षा के लिये विद्या का प्रचार करने, जैन तीर्थो का उद्धार करने, जैन पर्यों को मनाने, एवं जैन समाज में संगठन कायम करने के उद्देश्य लेकर यह संस्था स्थापित हुई। पंजाब के लिये यह दुर्भाग्य था कि संस्थापक मुनिराज का थोड़े समय में ही स्वर्गवास हो गया । महासभा अपना वार्षिक अधिवेशन कर के
* इस प्रकार यह पत्र तीन वर्षतक समाज की सेवा करता रहा। दुर्भाग्य से कुछ कारण ऐसे उपस्थित हुए जिस से पंजाब की जैन समाज का एक मात्र पत्र भी १९३३ का वर्ष पूरा कर के बन्द हो गया। यह समाज का दुर्भाग्य ही है, इसे फिर से प्रकाशित करने की पूरी आवश्यकता है।
शतान्दि ग्रंथ ]
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