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पल्लीवाल गच्छ पट्टावली
हास अज्ञात है । पुरातत्त्ववित् सविशेष ज्ञातव्य प्रकट करने की कृपा करें और इसी प्रकार अन्य प्रकाशित पट्टावलीयों की खोजशोध कर साहित्यप्रेमी शीघ्र प्रकट करें यही निवेदन है ।
पल्लीवाल गच्छ पट्टावली
प्रथम २४ तीर्थंकरों और ११ गणधरों के नाम लिखकर आगे पट्टानुक्रम इसप्रकार लिखा है :(१) श्री स्वामी महावीर जी रै पाटि श्री सुधर्म्म १
(२) तिण पट्टे श्री जंबूस्वामी २
( ३ ) तत्पट्टे श्री प्रभवस्वामी ३ ( ४ ) तत्पट्टे श्री शय्यं भवसूरि ४ (५) तत्पट्टे श्री जसोभद्रसूरि ५
( ६ ) तत्पट्टे श्री संभूतविजय ६
(७) तत्पट्टे श्री भद्रबाहु ७
(८) तत्पट्टे, तिण महें भद्रबाहुरी शाखा न वधी, श्री थूलिभद्र ८
(९) तत्पट्टे श्री सुहस्तिसूरि, २ काकंद्याकोटि सूरिमंत्र जाप्यां चात् कोटिक गण । तिहाँ रै पाटि प्रतिबंध ९ तियां रे गुरुभाइ सु तिणरा शिष्य दोड़, विज्जाहरी १ उच्च नागरी २ सुप्रतिबधपाटि ९ तिणरी शाखा २ तिणांरा नाम मझिमिला १ वयरी २
(१०) वयरी रै पाटै श्री इंद्रदिन सूरि पाटि १०
(११) तत्पट्टे श्री आर्यदिन्नसूर पाटि ११
( १२ ) तत्पट्टे श्री सिंहगिरिसूरि पाटि १२
(१३) तत्पट्टे श्रीवयरस्वामि पाटि १३
(१४) तत्पट्टे तिणरी शाख २ तिणां रा नाम प्रथम श्री वयरसेन पाटि १४ बीजो श्री पद्म २ तिरी नास्ति । तीजो श्री रथसूरि पाटि श्री पुसिगीर री शाखा बीजी वयरसेन पाटि १४
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(१५) तत्पट्टे श्री चंद्रसूरि पाट १५ संवत् ३० चंद्रसूरि
+ (१६) संवत १९१ (१६१) श्री शांतिसूरि थाप्या पट्टे १६. श्री संवत १८० स्वर्गे श्री शांतिसूरि
+ यहां से शेष तक ७ नाम ही रूढ़ हो गये देखे जाते हैं: - १ शांतिसूरि, २ यशोदेवसूरि, ३ नन्नसूर, ४ उद्योतनसूरि, ५ महेश्वरसूरि ६ अभयदेवसूरि ७ आमदेवसूरि । ऐसे ही खरतरगच्छ में चंद्रसूरि, वायड
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[ श्री आत्मारामजी
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