Book Title: Atmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Atmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
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सूरीश्वरजी के पूनीत नामपर के सहयोग से गुरुकुल प्रतिदिन अपनी उन्नति करता गया, परिणामस्वरूप आज तक एक स्नातक ग्रुप तथा तीन विनयमन्दिर ग्रुप गुरुकुल से शिक्षण पूर्ण कर निकल चुके हैं, और सब योग्य स्थानों पर कार्यक्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। और वर्तमान समय में ५० के लगभग विद्यार्थी शिक्षा का लाभ ले रहे हैं । गुरुकुल की विशेषतायें- .
जिस नगर में इस समय गुरुकुल स्थापित है, वह पंजाब का एक ऐतिहासिक नगर तो है ही विशेषतया यहां स्वर्गीय गुरुदेव के स्वर्गारोहण एवं उनके समाधि स्थान होने से जैनियों का तो एक तीर्थस्थान हो गया है, इस शहर की १॥ मील की दूरी पर स्वास्थ्यप्रद स्वच्छ वायु मण्डल में गुरुकुल का कार्य चल रहा है । गुरुकुल में विद्यार्थियों को शिक्षण स्थान के अतिरिक्त भोजन, वस्त्र, पुस्तकें, स्टेश्नरी तथा अन्य आवश्यक सामग्री फ्री ( मुफ्त ) ही देकर बड़े प्रेम एवं कौटुम्बिक भावना से रखा जाता है । गुरुकुल की भावना ये सदा उदार रही, उसने पंजाब के ही नहीं प्रत्युत यू. पी., मेवाड़, मारवाड़, गुजरात और काठियावाड़ के विद्यार्थियों को सहर्ष स्थान दिया और सम्प्रदाय एवं गच्छ भेद को छोड़ कर किसी भी गच्छ एवं श्वेताम्बर, दिगम्बर, स्थानकवासी सम्प्रदाय के विद्यार्थियों को शिक्षा के लिये अपनाया और यहां तक कि जैनेतरों को भी समान भाव से प्रविष्ट किया गया।
गुरुकुल में विद्यार्थियों को हिन्दी माध्यम के साथ संस्कृत, अंग्रेजी, ऊर्द, गणित, भूगोल, इतिहास आदि विषय पढ़ाये जाते हैं और प्रत्येक विद्यार्थी को कोई न कोई उद्योग लेना भी आवश्यक होता है, ताकि भावी जीवन में उदरपूर्ति के लिये उनके पास कोई न कोई साधन हो, आरोग्यता की ओर भी विशेष ध्यान दिया जाता है, एक योग्य डाक्टर साहब निरीक्षण के लिये नियुक्त है, प्रत्येक विद्यार्थी के लिये प्रतिदिन व्यायाम करना तो आवश्यक है ही, साथ ही, उन्हें ड्रिल, स्काउटिंग, लाठी, गदका मरहठी चलाने की भी शिक्षा दी जाती है । धार्मिक शिक्षण व क्रियाकाण्ड--
गुरुकुल में अन्य शिक्षाओं के साथ धर्म शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया जाता है । प्रतिवर्ष कई विद्यार्थी जैन श्वेताम्बर एज्युकेशन बोर्ड की परीक्षा में बैठते हैं, और बहुत से विद्यार्थी अच्छे अङ्को में उत्तीर्ण हो कर पारितोषक प्राप्त कर चुके हैं, धार्मिक
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[ श्री आत्मारामजी
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