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श्री. ईश्वरलाल जैन मिल जाती है । जून १९३१ में शहर से बाहर स्कूल की अपनी दर्शनीय बिल्डिंग की प्रतिष्ठा बड़ी धूम धाम से हुई तत्पश्चात् स्कूल इस नये मकान में चला गया। . स्कूल के साथ एक अच्छा बोर्डिंग हाउस भी है, जिसमें इस समय ५६ विद्यार्थी रहते हैं, उनके देखभाल के लिये दो डाक्टर और वैद्य भी नियुक्त हैं, स्कूल के सभी विद्यार्थियों की साल में तीनबार डाक्टरी परीक्षा का प्रबन्ध है, परिणाम की सूचना विद्यार्थियों के घर भेजदी जाती है । इस प्रकार यह संख्या जैनों में नहीं प्रत्युत अजैनों में भी व्यवहारिक तथा धर्मशिक्षा का प्रचार कर रही है, सर्व साधारण में जैन धर्म के विषय में जो भ्रममूलक विचार उत्पन्न होते हैं उनके निराकरण का यह सर्व श्रेष्ठ उपाय है, इस स्कूल तथा गुरुदेव के नाम पर चलने वाली अम्बाला शहर की अन्य संस्थाओं के लिये एक ही मैनेजिंग कमेटी बनी हुई है, जो सरकार द्वारा रजिस्टर्ड है, सारी आमदनी और खर्च का पूरा हिसाब रखा जाता है, जिसे आत्मानंद जैन सभा की ओर से निर्वाचित आडीटर पड़ताल करते हैं, और स्कूल का हिसाब सरकारी आडीटर भी पड़ताल करते हैं।
इस हाईस्कूल तथा इस की प्राइमरी आदि शाखामें एवं कन्या पाठशाला आदि का (जिसका परिचय आगे है ) वार्षिक खर्च २० हजार रुपैया के लगभग है, जो कि फीस ग्रांट और दानादि से पूरा किया जाता है दोनों प्राइमरी स्कूलों और कन्या पाठशाला में कोई फीस नहीं ली जाती लगभग पांच हज़ार रुपये साल का घाटा समाज को पूरा करना पड़ता है। समाज का कर्तव्य है कि इस के साथ पूरा सहयोग देकर इसे जैन कॉलेज का रूप दे। श्री आत्मानन्द जैनहाईस्कूल मालेरकोटला
___ मालेरकोटला मुस्लिम नवाब की रियासत है, और मालेरकोटला में ही हमारे गुरुदेव श्री विजयानन्दसूरि महाराज ने स्थानकवासी दीक्षा ग्रहण की थी । वहां का जैन समाज बड़ा गुरुभक्त है, इस नगर में श्री देव श्री जी के उपदेश से एक कन्यापाठशाला स्थापित की गई, परन्तु कई कारणों से यह संस्था उन्नति न कर सकी, लगभग १२ वर्ष पूर्व आचार्य श्री विजयवल्लभसूरिजी महाराज अपनी आचार्य पदवी के उपरांत वहां पधारे उस समय आप के उपदेश से उस संस्था को लोअर प्राइमरी स्कूल की शकल दे दी गई, और उसका ५ वर्षतक अच्छा कार्य चला, इसके बाद
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