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सूरीश्वरजी के पुनीत नामपर
: पुस्तक प्रकाशक संस्थायें :
श्री आत्मानन्द जैन ट्रैक्ट सोसायटी अम्बाला शहर
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पञ्जाबभर में जैन धर्म सम्बन्धी ट्रैक्ट प्रकाशित करनेवाली एक मात्र संस्था यही ईस्वीसन् १९१५ में स्थापित हुई, जिस में जैन धर्म सम्बन्धी उपयोगी छोटे छोटे ११२ ट्रैक्ट आजतक निकल चुके हैं, ट्रैक्ट सोसायटी ने उपयोगिता इतनी बढ़ाली कि पञ्जाब के अतिरिक्त यू. पी. गुजरात, मारवाड़ आदि और भी इस के पर्याप्त ग्राहक हुए और सन् १९३० से ट्रैक्ट सोसायटीने ट्रैक्टों के स्थान पर आत्मानन्द नामक मासिक पत्र निकालना प्रारम्भ किया, जिस के सम्बन्ध में अन्यत्र परिचय दिखा गया है, ट्रैक्ट सोसायटी अपने ग्राहकों को ट्रैक्टों के अतिरिक्त एक सुन्दर तिथि पत्रक ( कैलेण्डर ) भी प्रतिवर्ष देती रही, दो रु. वार्षिक देनेवाला उसका ग्राहक, एवं १०० रु. एक साथ देनेवाला लाइफ मेम्बर स्वीकृत किया जाता है, ट्रैक्ट प्रकाशन का कार्य कुछ समय से बन्द पड़ा है, उसके सुयोग्य कार्य कर्ताओं को फिर उत्साहित हो कर कार्य प्रारम्भ करना चाहिये ।
श्री आत्मानन्द जैन पुस्तक प्रचारक मण्डल देहली व आगरा
गुरुदेव के नाम पर चलनेवाली यह संस्था सर्व प्रथम देहली में स्थापित हुई, जिस को लगभग २०-२५ वर्ष हो चुके होंगे, बाबूदयालचन्दजी जौहरी आगरा, बाबू टीकमचन्दजी देहली और बाबू जवाहरलालजी नाहटा इस संस्था के मुख्य संस्थापक थे, इस संस्थाने समाज व धर्म के लिये अच्छे ट्रैक्ट, व बड़ी पुस्तकें प्रकाशित की; १५-१६ वर्ष से यह मण्डल देहली से आगरा चला गया, और वहां पर बा. दयालचन्दजी की देखरेख में इसका कार्य भलीभांति चल रहा है, जैन धर्म का हिन्दी भाषा में प्रचार करने वाली यही एकदो संस्थायें थीं । कर्मग्रन्थ जैसे अमूल्य ग्रन्थों का धुरन्धर विद्वानों से हिन्दी अनुवाद व विस्तृत विवेचना कराकर प्रकाशित करने का सौभाग्य इसी संस्था को प्राप्त हुआ है, और कितने ही बड़े ग्रन्थ हिन्दी में छपवा कर सस्ते दामों पर देने का कार्य भी इस संस्थाने किया है, जिसका उदाहरण यही है दर्शन और अनेकान्तवाद, जैसी सुन्दर और ढाईस पृष्ठ की पुस्तक को लगभग छे आने में देकर जैन साहित्य का प्रचार किया ।
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[ श्री आत्मारामजी
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