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सुन्दरलाल जैन
" : "सन् १८९३ में अमरीका के विख्यात चिकागो नामक शहर में अमरीकानिवासियों की ओर से एक “ सर्व धर्म परिपद् ' बुलाई गई थी। इस परिषद् बुलाने का विशेषतया यह अभिप्राय था कि संसार के समस्त धर्मों के प्रतिनिधियों को एक स्थान पर इकट्ठा कर के विचार-विनिमय किया जावे तथा एक दूसरे धर्म के प्रति जो द्वेष तथा मनोमालिन्य फैल रहा है उसे यथाशक्ति दूर करने का प्रयत्न किया जाये ताकि जनता ( जो धर्म से प्रायः विमुख हो रही है ) में धर्म के प्रति अभिरुचि हो । इस परिषद् को सफल बनाने के लिये अमरीकानिवासियों ने लगातार दो ढाई वर्ष पर्यन्त बडे परिश्रम से प्रयत्न किया था तब कहीं वह उसे सफल बनाने में समर्थ हुवे थे । परिषद् कितनी सफल हुई थी यह परिषद् के Scientific Section के प्रधान Hon. Mr. Marwin Marie Snell के निम्न उद्गारों से पता चलता है:
"One of its chief advantages has been in the great lesson which it has taught the Christian world, especially to the people of the United States, namely, that there are other religions more venerable than Christianity, which surpass it in philosophical depth, in spiritual intensity, in independent vigour of thought, and in breadth and sincerity of human sympathy, while not yieiding to it a single hair's breadth in ethical beauty and efficiency."
अर्थात् “ परिषद् का सब से बड़ा लाभ वह शिक्षा थी जो इसाई जगत को तथा विशेष कर अमरीकानिवासियों को प्राप्त हुई कि संसार में इसाई मत से ज्यादा पवित्र
शताब्दि ग्रंथ]
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