Book Title: Atmanandji Jainacharya Janmashatabdi Smarakgranth
Author(s): Mohanlal Dalichand Desai
Publisher: Atmanand Janma Shatabdi Smarak Trust
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कुछ इधर उधर की आप व्याकरण न्याय आदि विषयों को पढ़ने के लिए कहिए । फिर वह जो कुछ सच बताये उसे ही ठीक मानियेगा।"
उन्हों ने अपने बड़े लड़के को आप के कथनानुसार पढ़ाया और जब वह पढ़ कर तैयार हो गया तो उन्हों ने श्री आत्मारामजी महाराज साहब की कही हुई बातों को हूबहू ठीक बतलाया । इस प्रकार वास्तविक बात उनकी समझ में आ गई ।
फिर जब महाराज साहब वहा दुवारा पहुँचे तब लालाजी ने कहा:-"महाराज ! मैं आप का बड़ा कृतज्ञ हूँ, वास्तव में आपने ही प्रकाश दिखाया है, हम अबतक अंधकार में थे।"
प्रभावक पुरुष श्री आत्मारामजी महाराज साहब के प्रभाव की भी एक कहानी सुन लीजिए:
मेरा चौमासा सम्बत् १९५९ में धोलेरा बन्दर (काठियावाड़) में हुआ था, वहां के सम्मानित व्यक्तियों का कहना है:
जिस साल स्वर्गीय श्री आत्मारामजी महाराज साहब का यहां पधारना हुआ था, भगवान का वरघोड़ा निकला था । स्वर्गीय आचार्यदेव भी उसे देखने के लिए बाजार में पधारे थे । जिन जिन दुकानों पर आप बिराजे थे, उन दूकान मालिकों के भाग्य खुल गए और उनमें से प्रायः सभी लखपती हो गए।
[ श्री आत्मारामजी
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