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पंन्यास श्री ललितविजयजी आप का पटियाला में अभूतपूर्व स्वागत हुआ । जनता ने हृदय से स्वागत किया, व्याख्यान हुआ, सहस्रों आदमी आए और सब ने एक स्वर से स्तुति की तथा पटियाला पधारने पर अपने को भाग्यशाली समझा।
बातों बातों में सीसूमल का जिक्र आ गया। महाराज साहब ने फरमाया "भाई ! सीमूमल ने, सुनते हैं, कहा था कि पटियाला में आए कि उनकी इज्जत बीच बाजार में ले लूंगा । मैं ने भी समझा कि व्यर्थ इज्जत का बोझा कहां तक लादे फिरूं, चलो इतना हलका तो हो जाऊंगा।"
इस घटना को सुनकर सब ने सीसूमल पर लानत की । सीसूमल ने फिर कभी मुँह तक न दिखाया।
पट्टी, जिला लाहौर में आज पंजाबभर में काफी जनों के घर हैं । वहाँ एक श्रावक लाला घसीटामल रहते थे। शिक्षित तथा मान्य थे। उनके ३ सुपुत्रं थेः अमीचंद, मूलचंद और देवीचंद ।
एकवार आत्मारामजी महाराज साहब पट्टी पधारे । तबतक वहाँ स्थानकवासी लोग ही अधिक थे।
लाला घसीटामल महाराज साहब के भक्तों में थे किन्तु इनके स्थानकवासी सम्प्रदाय छोड़कर संवेगी सम्प्रदाय में आने से उन्हें कुछ शंका हो रही थी।
"महाराज ! मनुष्य जब तक छद्मस्थ दशा में है, उसका कहा हुआ गलत भी हो सकता है, फिर संभव है आप जो कुछ कहते हैं वही गलत हो और स्थानकवासी लोगों का कहा हुआ ठीक हो और इस तरह हम भी गलत मार्ग पर चले जाएँ ।"
“ मैं जो कुछ कहता हूँ, यदि उस की सत्यता जाननी हो तो अपने बड़े लड़के को
शताम्दि ग्रंथ )
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