Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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उपमिति-भव-प्रपंच कथा जिनमतज्ञ-महाराज! कुमार का पुण्योदय नामक एक मित्र है वह अपना रूप छिपा कर रहता है। यह पुण्योदय मित्र जब तक कुमार के निकट रहेगा तब तक उसका पापो-मित्र वैश्वानर कुमार से कितने भी अनर्थ करवाये वह उन सब को कुमार के लाभ का कारण बना देगा। यह बात सुनकर मेरे पिता को कुछ शान्ति मिली। सभा-विसर्जन : विदुर को निर्देश
इस समय जब सूर्य आकाश के मध्य में पाया तब शहनाई और नौबत बजने लगी, अन्त में शंख ध्वनि हुई । समय बताने वाले काल-निवेदक ने कहा
इस संसार में तेज की वृद्धि क्रोध से नहीं होती, पर मध्यस्थ भाव से होती है, ऐसा बताते हुए सूर्य मध्यस्थता (मध्याह्न काल) को प्राप्त हुआ है।
यह सुनकर मेरे पिता पद्म राजा ने कहा- अरे ! मध्याह्न काल हो गया है ! अतः अब अपने को उठना चाहिये। ऐसा कहकर राजा ने कलाचार्य और नैमित्तिक की पूजा की और उन्हें सम्मान पूर्वक विदा किया तथा सभा विजित की । नैमित्तिक के वचनों से मेरे पिता को अब पता लग गया था कि मुझे सुधारना अशक्य अनुष्ठान है तभी पुत्र-स्नेह से उन्होंने विदुर को आज्ञा दी-'उस पापी-मित्र की संगति से कुमार किसी भी प्रकार दूर रह सकेगा या नहीं, इस विषय में तुम कुमार के अभिप्राय की परीक्षा करते रहना ।' 'जैसी महाराज की आज्ञा' कहक विदुर वहाँ से निकला। मेरे पिता भी सभा मण्डप छोड़कर महल में गये और अपन दैनिक कार्य में लग गये।
दूसरे दिन विदुर मेरे पास आया। उसने मुझे प्रणाम किया और मेरे पास बैठा । मैंने पूछा--विदुर ! क्या कल तुम नहीं आये थे ? विदुर ने अपने मन में विचार किया कि, अरे ! महाराज ने मुझे आज्ञा दी है कि कुमार के अभिप्राय की बराबर परीक्षा करू और उस पर दृष्टि रखू। उन जिनमतज्ञ नैमित्तिक से दुर्जन की संगति के कितने भयकर परिणाम होते हैं उस पर कल मैंने जो वार्ता सुनी है, उसे ही कुमार को कह सुनाता हूँ, जिससे यह पता लग सके कि उसके मन में कैसे भाव हैं । ऐसा विचार कर विदुर ने कहा कुमार ! कल कुछ जानने समझने योग्य बात हो गई थी।
नन्दिवर्धन-ऐसी क्या बात हुई ? विदूर--एक उत्तम कथा सुनी थी। नन्दिवर्धन-वह कथा कैसी थी? वह सुनाओ। विदुर--- मैं वह कथा सुनाता हूँ, पर आपको वह ध्यान पूर्वक सुननी पड़ेगी। नन्दिवर्धन-मैं ध्यान पूर्वक सुगा, कहो । विदुर ने निम्न कथा सुनाई।
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