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उपमिति-भव-प्रपंच कथा
हैं। भाणजे ! तु मेरी बहन बुद्धिदेवो का पूत्र है, इसलिये तुझे निर्णय करने में समय नहीं लग सकता । मैं जानता हूँ कि तू मुझे जो प्रश्न पूछ रहा है वे तेरी जातिवान् होने की (मुझे मान देने की), उदार नीति की और तेरी एक प्रकार की महत्ता की निशानी है । [४८६-४६०] भोगतृष्णा
प्रकर्ष-अच्छा मामा ! इस मन्त्री के पास एक मूग्ध नेत्रों वाली स्त्री बैठी है, क्या वह इसकी पत्नी है ? इसका नाम क्या है ? और वह कैसी है ? कृपया बतलाइये। [४६१]
विमर्श-भाई प्रकर्ष ! इसका नाम भोगतृष्णा है । यह विषयाभिलाष की पत्नी है । इसमें इसके पति के समान ही सब गुण विद्यमान हैं। [४६२] मोह राजा के अन्य सेनानी
हे भद्र ! महामन्त्री के पास-पास और आगे-पीछे राजा जैसे जो पुरुष खड़े दिखाई दे रहे हैं और जिन्होंने अपने मस्तक मन्त्री के आगे झुका रखे हैं वे दुष्टाभिसन्धि आदि * महायोद्धा हैं और मोह राजा के विशेष स्वांगभूत सेनानी हैं। ये सभी महायोद्धा महाराजा के अति प्रिय, रागकेसरी द्वारा मान्य और दशगजेन्द्र की सेवा में सभी समय-समय पर भृत्य के रूप में उपस्थित रहते हैं। विषयाभिलाष मन्त्री की प्राज्ञा होते ही वे सभी या जिसे आज्ञा दी गई हो वे राज्य की सेवा में प्रवृत्त हो जाते हैं और जब तक मन्त्री उन्हें उस कार्य से निवृत्त होने को आज्ञा नहीं देता तब तक वे कार्य से पीछे नहीं हटते । बाह्य प्रदेश में रहने वाले प्राणियों को क्षुद्र उपद्रव करने वाले जो-जो अन्तरंग के राजा हैं वे सभी यहीं इस तृष्णा मञ्च के मध्य में बैठे हए हैं जिन्हें भली प्रकार पहचान लो । फिर बाह्य प्रदेश में कुछ अधम उपद्रव करने वाली स्त्रियाँ और कुछ बच्चे भी इन्हीं राजाओं के बीच हैं उन्हें भी ध्यान पूर्वक देखने से वे लोग दिखाई देंगे । वे इतने अधिक हैं कि उनकी गिनती भी नहीं हो सकती, फिर उनका वर्णन करना तो अशक्य ही है । उन सब में जो विशेष-विशेष स्वांगभूत (मोह राजा से उत्पन्न) योद्धा हैं उनका संक्षिप्त वर्णन मैंने किया है ।
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ॐ पृष्ठ ३७७
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