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प्रस्ताव ६ : धनशेखर की निष्फलता
अन्त में मैं किनारे पर लगा। ज्वार ने मुझे किनारे पर फेंक दिया था, पर मैं उस समय मूछित था । शीतल पवन के झकोरों से मुझ में कुछ चेतना आयी ।*
__ चेतना आने पर मुझे बहत जोर की भूख और प्यास लगी। मैं फल और पानी की खोज में इधर-उधर भटकने लगा। मेरा पुण्योदय समाप्त हो गया था, अतः अब मैं कुछ भी प्रवृत्ति करू उसमें मुझे असफलता ही मिलती थी । अनेक स्थानों पर भटकते हुए मुझे एक जंगल दिखाई पड़ा, पर वह भी पुष्प-फल रहित मरुभूमि के उजाड़ प्रदेश जैसा था । सात दिन का भूखा-प्यासा और अनेक प्रकार के दुःखों से उत्पीड़ित मेरी उस समय कैसी दशा हो रही थी, यह तो सहज अनुमान का विषय था । इतने पर भी अभी मुझे बहुल पाप का फल भोगना बहुत बाकी था और मेरे हाथ से नये पाप होने शेष थे इसलिये इस घोर दुःख में भी ऐसे संयोग मिल ही गये जिससे कि मेरी प्राण रक्षा हो गई। जैसी-तैसी तुच्छ वस्तुएं खाकर मैं अपना जीवन चलाने लगा। [२८६-२६०]
__वहाँ से भटकते हए मैं आगे बढ़ने लगा। अनेक गांवों, नगरों और देशों में घूमते हुए अन्त में मैं वसन्त देश में पहुँचा । न खाने का ठिकाना, न रहने का ठिकाना, न पीने का ठिकाना, ऐसी भयंकर स्थिति में मैं अनेक स्थानों पर घूमा, पर अपने अभिमान के कारण मैं अपने पिता के घर आनन्दपुर नहीं गया। मेरा पुण्योदय मित्र मुझे छोड़ चुका था। मात्र सागर और मैथुन अन्तरंग मित्रों को साथ लेकर पुनः धनोपार्जन की कामना से मैं अनेक देशों में घूमता रहा । [२६१-२६२] कार्यों में निष्फलता
भिन्न-भिन्न देशों में जाकर मैंने अनेक नये-नये कार्य धन कमाने के लिये किये, पर पुण्य के अभाव में धन की प्राप्ति तो नहीं हुई, किन्तु जो भी कार्य किया उसमें रुपये की अठन्नी जरूर हो गई। मैंने कैसे-कैसे काम किये, इसका संक्षिप्त वर्णन सुनाता हूँ
__ मैंने खेती का कार्य किया तो उस वर्ष उस स्थान पर वर्षा ही नहीं हुई और सारे देश में अकाल पड़ा।
फिर मैंने अत्यन्त विनयपूर्वक नीचा मुह करके राजा की नौकरी स्वीकार की । बहुत ध्यान लगाकर राज्य सेवा सच्चे दिल से करने लगा, किन्तु उसमें भी ऐसे प्रसंग आने लगे कि राजा अकारण ही मुझ पर क्रोधित होने लगा और अन्त में मुझे नौकरी छोड़ देनी पड़ी।
राज्य-सेवा को छोड़कर अब मैंने सेना में नौकरी करली, पर मेरे सेना में भर्ती होते ही एक बड़ा युद्ध प्रारम्भ हो गया और मुझे युद्ध के मोर्चे पर जाना पड़ा। युद्ध में अपना कर्त्तव्य और सेनापति की प्रसन्नता के लिए मुझे अनेक शस्त्रास्त्रों की
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