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उपमिति-भव-प्रपंच कथा
करेगा?
अत्यन्त उल्लसित हुए कि अब हमारा शासन चलेगा। इन्द्रिय चोरों को संतोष हुआ कि अब वे राज्य का सर्वस्व अपहरण कर अपना घर भरेंगे। कषाय लुटेरे भी यह जानकर प्रमुदित हुए कि अब उन्हें अधिक लूट का मौका मिलेगा। नो-कषाय डाकू भी हर्षित हुए कि अब वे अधिक डाका डाल सकेंगे। परीषह नामक दुष्ट योद्धागरण लोगों को दुःख में डुबा देने के विचार से आनन्दित हो रहे थे । उपसर्ग रूपी भयंकर सर्प भी प्रसन्न थे कि अब उन्हें अधिक लोगों को डसने का अवसर मिलेगा। मद्य आदि प्रमाद भी अब लोगों को अधिक पागल बनाने के विचार से प्रमुदित थे।
महामोह राजा का पूरा परिवार वैसे भी अभिमान से अन्धा और मदमस्त था, अब निकृष्ट राजा के राज्य में तो वह क्या-क्या नहीं करे ? अर्थात् वह जो करे वह थोड़ा था। [४०१] चारित्रधर्मराज की मन्त्रणा
इधर चारित्रधर्मराज के राज्य और सेना में भी महामोह राजा द्वारा स्थापित निकृष्ट राजा के राज्य को घोषणा से जो प्रतिक्रिया हई उसे भी बतलाता हूँ। 'निकृष्ट राजा होगा' यह घोषणा सुनकर चारित्रधर्मराज के राज्य में भी विचारचर्चा प्रारम्भ हुई कि यह निकृष्ट कैसा है और किस पद्धति से राज्य संचालन
[४०२-४०३ सद्बोध मंत्री ने विचार कर कहा-देव ! वह निकृष्ट समस्त प्रकार से दुरात्मा एवं अत्यन्त कुरूप है, ऐसा हमें मालूम हुआ है। वह दुरात्मा न तो अपने राज्य का नाम जानता है और न हम सब को पहचानता ही है, प्रत्युत वह हमें शत्रु मानकर हमारे साथ शत्रु जैसा व्यवहार करता है । हमारे बड़े शत्रु मोह राजा के प्रति उसका इतना अधिक पक्षपात है कि वह मोह के साधनों को ही बढ़ा रहा है और अपने स्वराज्य, देश या लोगों की तो कोई खबर ही नहीं लेता, बात भी नहीं पूछता । हम तो अभी दोहरी विपत्ति/मुसीबत में आ फंसे हैं । पहले से ही हम लोग मोह राजा द्वारा पराजित हैं दूसरा उस पर ऐसा निकृष्ट राजा हमारा स्वामी बना है । सचमुच भाग्य भी दुर्बल को ही मारता है । भाग्य के दोष से अभी जो निकृष्ट का राज्य हुआ है वह तो हमारे विनाश का ही समय है । मुझे लगता है कि सचमुच अब हमारा प्रलय-काल आ गया है । [४०४-४०८]
महामंत्री के उपरोक्त वचन सुनकर चारित्रधर्मराज, उनके पास खड़े सभी छोटे राजा और समस्त परिवार निस्तेज हो गया। सभी का मुख उतर गया। जैसे घर में किसी प्रियजन की मृत्यु होने पर सारा परिवार शोक-ग्रस्त हो जाता है, हताश हो जाता है, दीनता से विकल हो जाता है, दारुण व्यथा से व्यथित हो जाता है वैसे ही निकृष्ट राजा के सम्बन्ध में सद्बोध मन्त्री के मुख से विवरण सुनकर चारित्रधर्मराज के पूरे परिवार में महाशोक छा गया । चारित्रधर्मराज के अधीनस्थ सात्विकपुर आदि अनेक नगरों और ग्रामों में भी शोक फैल गया ।* * पृष्ठ ५८८
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