Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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प्रस्ताव ८ : नौ कन्याओं से विवाह : उत्थान
३६५
पुन: मैंने सोचा -- अभी इन कन्याओं का विवाह स्थगित कर दूँ । अभी क्यों न जवानी का मजा लूट लू ? ये कन्यायें तो मेरे हाथ में ही हैं, यौवन ढल जाने पर इनसे लग्न कर दीक्षा ले लूंगा ।
सद्बोध मन्त्री की अनुपस्थिति में मेरे मन के घोड़े दौड़ ही रहे थे कि तभी मन्त्री आ गये | मैंने अपना अभिप्राय मन्त्री को सुनाया ।
सद्बोध मन्त्री बोले ---देव ! आपने यह ठीक नहीं सोचा । यह ग्रात्महित का क्षतिकारक, परमसुख का बाधक और आपके अज्ञान का सूचक है । आप जैसे व्यक्ति के ऐसे विचार स्वाभाविक नहीं हैं । यह तो दुरात्मा महामोहादि का विलास है । गुप्त धन को हस्तगत करने के समय जैसे वैताल विघ्न डालने के लिये श्राकर खड़े हो जाते हैं वैसे ही चित्तवृत्ति में छुपे हुए वे दुष्ट श्रापकी सिद्धि में विघ्न डालने के लिये ठीक अवसर पर ग्रा पहुँचे हैं, पर ग्राप अपनी आत्मा को उनसे न ठगने दें । मन्त्री की बात मुझे जँच गई । मैंने पूछा- आर्य ! फिर मुझे क्या करना
चाहिये ?
सद्बोध - आपको अपने बल से ही उन्हें हटाना चाहिये । गुणधारण - मेरा कौनसा बल (सैन्यबल) है ? बतलाइये ।
सद्बोध- मैं तुम्हें तुम्हारा बल दिखलाने को तैयार हूँ किन्तु यह अधिकार कर्मपरिणाम महाराजा को ही है ।
कर्मपरिणाम महाराजा वहाँ उपस्थित ही थे । उपर्युक्त बात-चीत सुनकर उन्होंने कहा -- प्रार्य ! मेरी आज्ञा से तुम्हीं इन्हें इनके बल को बतला दो । परमार्थ से वह मेरे द्वारा ही बताया गया समझा जायेगा ।
सद्बोध ने महाराजा की आज्ञा को शिरोधार्य किया ।
स्वबल-दर्शन
तब सद्द्बोध मन्त्री ने मुझे चित्तसमाधान मण्डप में प्रवेश करवाया । * वहाँ विद्यमान चारित्रधर्मराज और उसकी सेना को मुझे दिखाया । उन्होंने मुझे प्रणाम किया और मैंने भी प्रत्येक का सम्मान किया । इस सैन्य-निरीक्षण के समय मैं उच्चतम पद पर आसीन था और वे सब मेरे अधीनस्थ सैनिक थे । उन्होंने तुरन्त चतुरंग सेना को तैयार किया और शत्रुओं को मार भगाने के लिये व्यूह रचना की । उनके रण उल्लास को देखकर मेरे अधीनस्थ राजानों ने भी उन सब को सन्मानित कर प्रसन्न किया । [ ३६५ ]
महामोहादि शत्रु दूर से ही इस तैयारी को देखकर भयभीत एवं पागल हो गये और पापोदय को आगे कर वे सब मृत्यु के डर से भाग खड़े हुए । तब उनके
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