Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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प्रस्ताव ८ : चक्रवर्ती चोर के रूप में
वह बहुत भोला था, अतः उसने महाभद्रा साध्वी से पूछा कि-भगवति ! ये महात्मा कौन हैं ? इनका नाम क्या है ?
प्रश्न सुनकर विचक्षणा महाभद्रा ने विचार किया कि राजपुत्र अत्यधिक सरल हृदय वाला है और इसकी चेष्टाओं से ऐसा लगता है कि यह प्राचार्य भगवान् के गुणों के प्रति आकर्षित हुआ है । अतः इस स्थिति का लाभ उठाकर इसके हृदय में भगवान् के आगमों के प्रति प्रीति उत्पन्न करनी चाहिये और इसके मन में उनके प्रति भक्ति जागृत करनी चाहिये । इस विचार से प्रतिनी ने उत्तर में कहा-वत्स ! इनका नाम सदागम है ।
उत्तर सुनकर पुण्डरीक ने पुनः पूछा-देवि ! यदि माता-पिता आज्ञा दें तो मैं इनके सान्निध्य में आगमों का अर्थ ग्रहण करना चाहता हूँ।
महाभद्रा ने कहा-यह तो बहुत अच्छी बात है। ___इसके पश्चात् महाभद्रा ने पुण्डरीक के माता-पिता कमलिनी * और श्रीगर्भ राजा को वह बात कही । इस प्रस्ताव से उन्हें भी अत्यन्त आनन्द हुआ। उन्होंने बड़े उत्साह और प्रेमपूर्वक पुत्र की इच्छा स्वीकार की और अत्यन्त प्रसन्नतापूर्वक अपने पुत्र को अभ्यास करवाने के लिये भगवान् को अर्पित कर दिया। तब से पुण्डरीक भगवान् के पास रह कर प्रतिदिन आगमों का अध्ययन करने लगा।
१५. चक्रवर्ती चोर के रूप में
कोलाहल का कारण
__इसी चित्तरम उद्यान के मनोनन्दन चैत्य में समन्तभद्राचार्य संघ के समक्ष धर्मोपदेश दे रहे थे । उनके सामने बैठकर प्रवर्तिनी महाभद्रा और राजकुमार पुण्डरीक भी गुरु का उपदेश सुन रहे थे, तभी सुललिता भी वहाँ आ पहुँची । भव्य प्राणी केवली भगवान् के धर्मोपदेश में तल्लीन हो रहे थे, तभी मेरी सेना का कोलाहल राजमार्ग पर होने लगा। कोलाहल और गड़गड़ाहट बढ़ने लगी तो सभा में स्थित सभी के कान चौकन्ने हो गये ।
* पृष्ठ ७३६
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