Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
View full book text
________________
प्रस्ताव ६ : निमित्तशास्त्र : हरिकुमार-मयूरमंजरी सम्बन्ध
१४६
__मैं वहाँ उपस्थित था ही । मैंने तुरन्त ही कुमार की आज्ञा को सहर्ष स्वीकार किया और कहा- 'आपकी बड़ी कृपा ।' ऐसा कहकर मैं तत्काल ही तपस्विनी को बुला लाने के लिये निकल पड़ा ।
५. निमित्तशास्त्र : हरिकुमार-मयूरमंजरी सम्बन्ध
[लतामण्डप में हरिकुमार को छोड़कर, उसकी इच्छानुसार तपस्विनी को ढूढ़कर लाने के लिये निकला हुआ धनशेखर (संसारी जीव) अपनी कथा को आगे चलाते हुए सदागम के समक्ष अगृहीतसंकेता से कहता है । .
मैं जिस समय लतामण्डप से बाहर निकला और नगर की तरफ बढ़ा, उसी समय मुझे रास्ते में वह तपस्विनी दिखाई दे गई। मैंने उसे प्रणाम किया और पूछा-भगवति ! उस चित्रपट की क्या कथा है ? उसमें किस कन्या की छवि है ? आप इतनी शीघ्र वहाँ से क्यों चली आईं ? परिवाजिका का स्पष्टीकरण
तपस्विनी ने मेरा प्रश्न सुनकर कहा-सुनो, आज प्रातः उषाकाल में मैं भिक्षा के लिये निकली थी। तुम्हें ज्ञात ही है कि रत्नद्वीप के महाराजा नीलकण्ठ की शिखरिणी नामक एक महारानी है। मैं भिक्षा के लिये उसी के राजमहल में प्रविष्ट हुई तो मैंने देखा कि महारानी शिखरिणी बहुत चिन्ताग्रस्त है और उसकी चिन्ता से पूरा परिवार उद्विग्न है । सभी कुमारियाँ शोकाकुल, सभी कंचुकी घबराये हए और वृद्ध स्त्रियाँ आशीर्वादातुर दिखाई पड़ी। यह देखकर मैंने सोचा कि इतनी चिन्ता और शोक का क्या कारण हो सकता है ? * इतने में ही शिखरिणी रानी स्वयं चलकर मेरे पास आई। मैंने उसे आशीर्वाद दिया और उसने मुझे सिर झुका कर प्रणाम किया। मुझो एक सुन्दर आसन पर बिठाकर महारानी बोलीभगवति बन्धुला ! आप जानती ही हैं कि मेरी पुत्री मयूरमंजरी मुझे प्राणों से भी अधिक प्यारी है । उसके आनन्द में मेरी शान्ति, उसकी क्रीड़ा में मेरा वैभव और उसके सुख में मेरा जीवन है । न जाने किस कारण से आज प्रातः से ही वह चिन्ताग्रस्त है। उसके मन में किसी प्रकार की व्यग्रता है जिससे वह घबराई हुई और विकारग्रस्त सी लग रही है । वह ऐसी लग रही है जैसे वह शून्यचित्त हो गई हो । उसके मुह से ऐसा लग रहा है मानो उसे तीव्र ज्वर आया हो। राजकन्या के * पृष्ठ ५६६
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
www.jainelibrary.org