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८. संसार-बाजार (प्रथम चक्र) ६. संसार-बाजार (द्वितीय चक्र) १०. सदागम का सान्निध्य : अकलंक की दीक्षा ११. महामोह और परिग्रह १२. श्र ति, कोविद और बालिश १३. शोक और द्रव्याचार १४. सागर, बहुलिका और कृपणता १५. महामोह का प्रबल आक्रमण १६. अनन्त भव-भ्रमरण १७. प्रगति के मार्ग पर
उपसंहार
२५७-२६४ २६४-२६६ २६६-२७४ २७५-२७८ २७८-२८३ २८३-२८७ २८७-२६० २६१-२६६ २६६-२६६ ३००-३०८
३०४
८. प्रष्टम प्रस्ताव
३११-४३६
३१२-३१६
पात्र-परिचय १. गुणधारण और कुलन्धर २. मदनमंजरी ३. गुरगधारण-मदनमंजरी-विवाह ४. कन्दमुनि : राज्य एवं गृहिधर्म-प्राप्ति ५. निर्मलाचार्य : स्वप्न-विचार ६. कार्य-कारण-शृंखला ७. दस कन्याओं से परिणय ८. विद्या से लग्न : अन्तरंग युद्ध ६. नौ कन्याओं से विवाह : उत्थान १०. गौरव से पुनः अधःपतन ११. पुनः भवभ्रमण १२. अनुसुन्दर चक्रवर्ती १३. महाभद्रा और सुललिता १४. पुण्डरीक और समन्तभद्र १५. चक्रवर्ती चोर के रूप में १६. प्रमुख पात्रों की सम्पूर्ण प्रगति
३१७-३२० ३२०-३२६ ३२६-३३५ ३३५-३४१ ३४१-३४५ ३४६-३५१ ३५२--३५८ ३५६-३६२ ३६३-३६६ ३७०-३७४ ३७४-३७७ ३७७-३७६ ३८०-३८१ ३८२-३८५ ३८५-३६३ ३६३-४०९
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