Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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प्रस्ताव ४ : भवचक्र नगर के मार्ग पर
५३५ लोग धर्म-बुद्धि से इतनी अधिक शीत में, बर्फ जैसे ठंडे पानी में धर्म-प्राप्ति के लिये डुबकियाँ लगा रहे हैं । [६] |
__ मामा ! यह शिशिर ऋतु अब तो लगभग समाप्त होने को पा रही है। हमें घर छोड़े अधिक से अधिक छः महीने हुए हैं, तब फिर आप इतनी त्वरा क्यों कर रहे हैं ? मुझ पर कृपा कर आप भवचक्र नगर तो मुझे अवश्य दिखाइये, फिर आपकी जैसी इच्छा हो वैसा करियेगा । [१०-११]
विमर्श ने लौटने में अवधि शेष है यह समझकर और भारगजे का अधिक प्राग्रह देखकर भवचक्र नगर देखने की स्वीकृति दे दी। फिर वे दोनों जाने की तैयारी करने लगे। जाते-जाते उन्होंने महामोह राजा की चतुरंगिणी सेना का अवलोकन किया। इस सेना में मिथ्यानिवेश आदि नाम के सुन्दर रथों का समूह था। ममत्व आदि गजघटा गर्जना कर रही थी। अज्ञान आदि मनोहर घोड़े हिन-हिना रहे थे। दीनता, चपलता, लोलुपता आदि पैदल वाहिनी से यह सेना परिपूर्ण थी । ऐसी रथ, हाथी, घोड़े और पैदल सिपाहियों की चतुरंगी सेना का भली प्रकार अवलोकन कर मामा-भाणेज चित्तवृत्ति अटवी से बाहर निकले । [१२-१५] भवचक्र के मार्ग पर
चित्तवृत्ति अटवी में पड़ाव डालकर पड़ी हुई मोह राजा की सेना को देखते हए, मार्ग निश्चय कर, हर्षित होकर विमर्श और प्रकर्ष वहाँ से कूच कर भवचक्र नगर के मार्ग पर आ गये। एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर बढ़ते हए (अविच्छिन्न प्रयाण करते हुए) वे अपना रास्ता काट रहे थे और मार्ग को छोटा करने के लिये भाणेज अपने मामा से रास्ते में अनेक महत्व के प्रश्न पूछता हआ चल रहा था। [१६-१७] कर्मपरिणाम और महामोह का सम्बन्ध
___ प्रकर्ष-मामा ! इस दुनिया में सब से ऊपर सार्वभौम कर्मपरिणाम राजा गिना जाता है, जिसके विषय में पहले कहा जा चुका है। जिसने अपने प्रताप से सम्पूर्ण राज्य को प्राक्रान्त कर रखा है। उसकी आज्ञा इस महामोह राजा पर भी चलती है या नहीं ? इस विषय में मेरे मन में शंका है, उसका निवारण कीजिये । [१८-१९]
विमर्श-भाई प्रकर्ष ! यदि परमार्थ से (वस्तुतः) देखा जाय तो इन दोनों राजाओं में कोई भेद नहीं है । साधारण तौर पर ऐसा कहा जा सकता है कि कर्मपरिणाम राजा बड़ा भाई है और यह महामोह उसका छोटा भाई है जिसे चित्तवृत्ति अटवी का राज्य सोंप दिया गया है । यह महामोह राजा चोर डाकू जैसा है और अन्धेरे में आक्रमण करने वाला है, इसीलिये इसे अटवी में स्थापित किया गया है। इस अटवी में दूसरे कई राजा तूने देखे हैं, उन सब को इस महामोह राजा के योद्धा
प्रका
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