Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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उपमिति भव-प्रपंच कथा
के
पाँव पड़ता है और बिना कहे उसका काम करता है । कोई लम्पट स्त्री अपने पाँव से उस पुरुष के सिर पर लात भी मार दे तो वह उसे सहन कर लेता है और मोह के कारण उस लात को भी पुष्प वर्षामान कर उसे उस स्त्री का अनुग्रह ही समझता है | स्त्री अपने मुख से शराब के घूंट को चखकर थूक मिलाकर यदि लंपट पुरुष मुँह में दे दे तो उसे पीकर वह स्वर्ग से अधिक सुख का अनुभव करता है । अत्यन्त बलवान, वीर्यवान पुरुषों को भी स्त्रियाँ खेल-खेल में ही अपने कटाक्ष अथवा भ्र विक्षेप से कचरे की टोकरी जैसा बना देती हैं । ऐसी स्त्रियों के साथ भी संगम करने के लिये पुरुष लालायित रहते हैं, उनके साथ सुरत- क्रीडा करते हुए भी उन्हें कभी तृप्ति प्राप्त नहीं होती और वे उनके तनिक से विरह में पागल जैसे हो जाते हैं तथा कभी-कभी तो शोक में विह्वल होकर मरण को भी प्राप्त करते हैं । ऐसी स्त्रियाँ यदि उसका तिरस्कार करे या उसका श्रादर न करे तो उसे खेद होता है और यदि उसका बहिष्कार कर दे तो रोने लग जाता है । ऐसे ही पर-पुरुष में ग्रासक्त अपनी स्त्री भी उसे महान दुःखसागर में डुबोती है, मरणान्तक पीड़ा पहुँचाती है । जब ऐसा पुरुष अपनी स्त्री को पर-पुरुष के पास जाने से रोकने के लिये प्रयत्न करता है तब ईर्ष्या के परिणाम स्वरूप अनेक प्रकार के कष्ट उठाता है । हे भद्र ! रति और कामदेव के वश में होकर प्रारणी ऐसी-ऐसी अनेक विडम्बनाएं इस भव में उठाता है औौर परभव में भी मोहवश इस रति की शक्ति से कामदेव का दास बनकर इस भयंकर संसार - समुद्र में डूब जाता है। भाई प्रकष ! बहिरंग लोक के अधिकांश मनुष्य ऐसे ही होते हैं, ऐसा समझना चाहिये । मकरध्वज और रति की आज्ञा न मानने वाले मनीषीगरण तो इस संसार में विरले ही होते हैं । भाई ! ने मुझ से मकरध्वजं के बारे में पूछा अतः उसके स्वरूप और उसके परिवार के बारे में मैंने विस्तार से वर्णन किया । [ ३५७-३७७]
१५. पाँच मनुष्य
[विमर्श वार्ता कहने में रसमग्न था ओर प्रकर्ष भी रस जमा रहा था । मामा का एक वर्णन पूरा होते ही वह दूसरी जिज्ञासा खड़ी कर देता था । मकरध्वज का वर्णन पूर्ण होते ही उसने नया प्रश्न खड़ा कर दिया ।]
प्रकर्ष-मामा ! आपने मकरध्वज का बहुत सुन्दर वर्णन किया । अब मेरी दूसरी जिज्ञासा प्रस्तुत है उसका भी समाधान करें । मकरध्वज के पास ही जो तीन पुरुष और दो स्त्रियाँ बैठी हैं वे कौन हैं ? उनके क्या नाम और गुरण हैं ? [ ३७८ ]
१. हास
विमर्श - इसमें से जो श्वेत रंग का पुरुष है वह विषम और अत्यन्त दुष्कर कार्य करने वाला है और उसका नाम हास है । यह अपनी शक्ति में
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