Book Title: Upmiti Bhav Prakasha Katha Part 1 and 2
Author(s): Siddharshi Gani, Vinaysagar
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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उपमिति-भव-प्रपंच कथा सात महेलिका/पिशाचिनियां
विरोधी सत्त्व जरा कालपरिणति प्रेरित यौवन जरा का शत्रु रुजा असाता प्रेरित निरोगिता रोग की शत्रु मृति प्रायुःक्षय प्रेरित जीविका मृत्यु की शत्रु
(जीवन) खलता पापोदय प्रेरित
सौजन्य खलता की शत्रु कुरूपता नाम कर्म प्रेरित
सुरूपता कुरूपता की शत्रु दरिद्रता अन्तराय प्रेरित ऐश्वर्य दरिद्रता को शत्रु दुर्भगता नाम राजा प्रेरित सुभगता दुर्भगता की शत्रु
पृथ्वीतल के पांच नगर नैयायिक वैशेषिक सांख्य
बौद्ध लोकायत
जैन चारित्रधर्मराज जैनपुर में चित्तसमाधान चारित्रधर्मराज के पांच मित्र (विवेक
मण्डप में निःस्पृहता वेदी सामायिक पर्वत पर
पर जीववीर्य सिंहासनस्थ छेदोपस्थापन छठा नगर) राजा
परिहारविशुद्धि सात्विक- विरति चारित्रधर्मराज की सूक्ष्म सम्पराय मानसपुर
रानी
यथाख्यात (भवचक्र में एक नगर और विवेक पर्वत का आधार) विवेक पर्वत यतिधर्म चारित्रधर्मराज का पुत्र, (सात्विक मानसपुर का पर्वत) युवराज अप्रमत्तत्व क्षमा (विवेक पर्वत मार्दव का शिखर) आर्जव जैनपुर मुक्तता (विवेक पर्वत पर निर्मित नगर) तपयोग चित्तसमाधान संयम
युवराज यतिधर्म के (मण्डप) सत्य
। दस सहचारी निःस्पृहता शौच (वेदी) अकिंचनत्व जीववीर्य ब्रह्मवीर्य (सिंहासन)
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