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प्रस्ताव ३ : दीक्षा महोत्सव : दीक्षा और देशना ३०७ बहत पसंद आया जिसे उन्होंने स्वीकार किया। ज्योतिषी को योग्य भट आदि देकर विदा किया और वह दिन आनन्द पूर्वक बीता। अष्टाह्निका महोत्सव
दूसरे दिन से राजा ने प्रमोदशिखर मंदिर में और नगर के अन्य विशाल जिन मंदिरों में देवभवनों के सौन्दर्य को भी लजाने वाला सुन्दर एवं विशाल महोत्सव मनाना प्रारम्भ किया। राजा ने घोषणा करवाई कि जिसे जो वस्तु चाहिये वह उस वस्तु को ग्रहण करे, इस प्रकार बड़े-बड़े दान दिये । महोत्सव के आठ दिन तक मनीषी को जय-करिवर नामक बड़े हाथी पर बिठाकर नगर के राज्य मार्गों, मुख्यमार्गों, तिराहों और चौराहों पर शोभायात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में राजा स्वयं मंत्रियों एवं सामन्तों सहित आगे-पागे पैदल चल रहे थे। उस समय मनीषी ऐसा शोमायमान हो रहा था मानो इन्द्र ऐरावत हाथी पर विराजमान हो । वस्त्राभूषणों से सुशोभित स्तुति करते हुए नागरिकगण देवता जैसे लग रहे थे। इस प्रकार मनीषी की सम्पूर्ण नगर में प्रतिदिन शोभायात्रा निकाल कर शत्रुमर्दन राजा ने उसे अलौकिक विलासों का अनुभव कराया।
इस प्रकार महोत्सव मनाते हुए पाठवां दिन आ गया। राज्य सभा में समस्त अतिथियों का विशिष्ट सम्मान करते हुए पहले दो प्रहर आनन्दपूर्वक व्यतीत हुए। सूर्य का चरित्र मानो मनीषो का चरित्र ही सूचित कर रहा हो इस प्रकार समय की सूचना देने वाले पहरेदारों ने घण्टा बजाते हुए सूचित किया
संसार के अंधकार को दूर करता हुआ और मनस्वियों को आहृदित करता हुआ सूर्य अब मस्तक पर पहुँच गया है और स्पष्टतया सूचित कर रहा है कि जैसे मैं बढ़ते-बढ़ते अपने प्रकर्ष ताप से सबके ऊपर पहुँच गया हूँ उसी प्रकार प्राणी अपने गुणों के प्रताप (प्रकर्ष) से सब पर अपना आधिपत्य स्थापित कर सकता हैं। [१-२]] निष्क्रमण महोत्सव
शत्रुमर्दन राजा ने समय सूचित करने वाले की आवाज सुनकर सुबुद्धि प्रभृति को लक्ष्य कर कहा-अहो ! मुहूर्त का समय आ गया है, अब आचार्यश्री के चरण-कमलों में चलने के लिये सामग्री शीघ्रता से तैयार करें। सुबुद्धि मंत्री ने कहा-महाराज ! मनीषी की पुण्य-परिपाटी के समान समस्त सामग्री तैयार ही है ।
कनक के समान उज्ज्वल रथों में जुते हुए सुसज्जित श्रेष्ठ घोड़े धनघनाहट (हिनहिनाइट) की आवाज के साथ चलने प्रारम्भ हो गये हैं। उनके पीछे राजपुरुषों से अधिष्ठित, बादलों के समान असंख्य हाथी राज्यद्वार पर घन गर्जन करते हुए मन्थर गति से चल रहे हैं। उनके पीछे रोबीले और बांके घुड़सवारों से सुसज्जित चपल मुखवाले सैकडों अश्व मानों आकाश का पान कर रहे हों इस प्रकार
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