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और सर्वे-सर्वा शासक हो पुरुष गुणों का समूह गुणी, संवेदक भोक्ता होने से !
वेतन की क्रियावती शक्ति जो बिना वेतनमाली है सक्रिय होती है चेतन की इस स्थिति को अनुमति प्रेषित करती शिल्पी के अधरों पर
स्मिति उभर आती है। उपयोग का अन्तरंग ही रंगीन ढंग बो योगों में रंग लाता है शिल्पी के अंग-अंग चालक से चातित यन्त्र-सम संचालित होते हैं
और सर्व-प्रथम शिल्पी का दाहिना चरण मंगलाचरण करता है शनैः शनैः ऊपर उटता हुआ फिर माटी के माथे पर उतरता है। चन्द्रमा की चाँदनी को तरसती चतुरी चकबी सम, शिल्पन-चरण का स्वागत करती माटी अपना माया ऊपर उटाती हुई।
उपरिन नीचे की ओर निचली ऊपर की ओर
126 :: मुक माटो