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प्रकृष्ट कष्ट का अनुभव हुआ उत्कृष्ट अनिष्ट का आना हुआ काल के गाल में जा कर भी बाल-बाल बच कर आया कुम्भ । कुम्भ की काया को देखने से दु : ख-पीड़ा का, रव-रव का, परीक्षा-फल को देखने से सुख-क्रीड़ा का, गौरव का और धारावाहिक तत्व को देखने से ..... न विस्मय का, न स्मय का कुम्भकार ने अनुभव किया।
परन्तु,
काल की तुला पर वस्तु को तौलने से जो परिणाम निकलता है यह भी पूर्णतः झलक आया
उसके मानस-तल पर ! पावन व्यक्तित्व का भविष्य बह पावन ही रहेगा। परन्तु, पावन का अतीत-इतिहास वह इतिहास ही रहेगा अपावन अपावन''अपावन ।
आज अवा से बाहर आया है
सकुशल कुम्भ। कृष्ण की काया-सी नीलिमा फूट रही है उससे,
मृक माटी :: 297