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अन्त-अन्न में बिन ऊना नल के कारण भभकत दीपक की मौत आवर में झा का स्वर्ण-कलश ने, परिवार महिन संट का, पीट-पीउ बैद्य-दल को
और ईप्या-ट्रंप-मात्सव-मद आवेग आदि कं आश्रय-भूत माटी के कम्भ का भी बहुत कुछ कह मनाया, परन्तु उसका इस ओर कुछ भी असर नहीं पड़ा, मव-कार बधावत् पूर्ववत् ही।
वसे,
क्रोध की क्षमता है कितना...
हाजी क्षमा कं सामने कब तक टिकंगा वन ? जिस सर्प कारता है वह मर भी सकता है
ओर नहीं भी, उसे जहर चढ़ भी सकता है और नहीं भी,
किन्तु
काटने के बाद सपं वह मुनि अवश्य होता है। वस, वही दशा स्वर्ण-कानश की हुई. उसको दाया निकट में पड़ी छोटा-छोटो स्व"-जत की कशियों पर भी पन्द्र रहा है।
-II :: गुज मा