________________
समग्र संसार ही दुःख से भरपूर है, वहाँ सुख है, पर वैषयिक
और वह भी क्षणिक ! यह तो अनुभूत हुआ हमें,
परन्तु
अक्षय - सुख पर विश्वास ही नहीं रहा है; हाँ हाँ !! यदि अविनश्वर-सुख पाने के बाद आप स्वयं उस सुख को हमें दिखा सको
उस विषय में अपना अनुभव बता सको
''तो सम्भव है हम भी विश्वस्त हो आप-जैसी साधना को जीवन में अपना सकें, अन्यथा मन की बात मन में ही रह जाएगी इसलिए 'तुम्हारी भावना पूरी हो' ऐसे वचन दो हमें, बड़ी कृपा होगी हम पर।
दल की धारणा को सुन कर मृदु-मुस्काले सन्त ने कहा
मुक माटी :: 48