Book Title: Mook Mati
Author(s): Vidyasagar Acharya
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 508
________________ प्रवचन देना उसे, किन्तु कभी किसी को भूल कर स्वप्न में भी वचन नहीं देना | असम्भव कारण सुनो! गुरुदेव ने मुझे कल कुछ दिशा-बांध चाहता हो तां’''' मितमित-मिष्ट वचनों में 16 ya कभी किसी का चवन नहीं देना, क्योंकि तुमने गुरु को वचन दिया है : ! ! ह चाँद काई भव्य भोला-भाला भूला भटका अपने मी की गाव विनीत मात्र से भरा दूसरी बात है कि वन्धन संपदा, भन और वचन का आगर जाना ही पाद है। इसी मोक्ष की शुद्ध दशा में ग्लश्वरी है जिसे

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