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सी नामरुना मी धारणा है तुम्हारी, फिर माला बना दो हमें,
आम्था कहाँ है समाजवाद में तम्हारी । सबसे आगे में समाज बाद में !
अरे कम-से-कम शब्दार्थ की और तो देखो ! समाज का अर्थ होता है सण्ड .................. .
और समूह यानी सम-समीचीन ऊह-विचार हैं जो सदाचार की नींव हैं। कत मिला कर अर्थ यह हुआ कि प्रचार-प्रसार से दूर प्रशस्त आचार-विचार वालों का जीवन ही समाजवाद है। समाजवाद समाजवाद चिल्लाने मात्र से समाजबादी नहीं बनोगे।"
ऐसे असभ्य शब्दों का प्रयोग किया जा रहा कि जिसके सुनते ही क्रोधाग्नि भभक उठती हो,
और पान तिलमिला जाता हो पत्थरों की मार से घनी चोट लगने से सबके सिर फिर से गये हैं रक्त की धारा बह उठी है
म. माटी :: .